भाजपा से पलायन और विरोध के सुर तेज क्यों ….

विशेष : जैसे – जैसे विधानसभा चुनाव की शुभ बेला नजदीक आती जा रही है ठीक वैसे ही भारतीय जनता पार्टी को बाय बाय कहने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है, स्थानीय नेताओं को छोड़ दे तो कुल मिलाकर एक दर्जन से अधिक बड़े नेता भाजपा को अलविदा कह चुके हैं, कारण जो भी हो । भाजपा इस समय जन आशीर्वाद लेने निकल पड़ी है लेकिन उनके ही बड़े नेता नाराजगी जताते सुने जा रहे हैं उन सब में सबसे पहला नाम कांग्रेस को सूबे से बाहर कर भाजपा की सरकार स्थापित करने वाली फायर ब्रांड नेता पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती हैं तो वहीं दूसरा नाम संगठन को गढ़ने वाले रघुनंदन शर्मा हैं । शर्मा के अनुसार भारतीय जनता पार्टी में अब कार्यकर्ता से संवाद नहीं हो पाता है इसलिए वो अपनी पीढ़ा जाहिर नहीं कर पाता है और वो बगावत कर बैठता है।
लगातार हो रहे पलायन पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का जबाव मिलता है कि वो तो मूल रूप से कांग्रेसी ही थे , लेकिन सवाल यह उठता है कि यदि कांग्रेसी विचारधारा के नेताओं का मेल जब भाजपा से नहीं मिलता तो क्या आने वाले समय में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के भी भाजपा छोड़ने के आसार हैं । दीपक जोशी और शिवपुरी के जितेंद्र जैन सहित भंवर सिंह शेखावत जैसे नाम तो कांग्रेसी नहीं थे फिर इन्होंने पार्टी से इस्तीफा क्यों दिया । सच तो यह बता जा रहा है कि सिंधिया और उनके समर्थकों के भाजपा में शामिल होने के बाद से हर एक विधानसभा क्षेत्र में मूल भाजपाई कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है, जिन नेताओं की राजनीति ही सिंधिया के विरोध की थी उनको आज अपनी ही देहरी पर स्वागत कहना पड़ रहा है।


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