मेरठ में गांधी के हत्यारे आप्टे की मूर्ति स्थापित
० ग्वालियर में बनी है नारायण आप्टे की मूर्ति ० एक वरिष्ठ पत्रकार ने 10 सितंबर ही लिख कर चेता दिया था

ग्वालियर। हिन्दू महासभा ने आज मेरठ(उप्र) में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नारायण आप्टे की मूर्ति स्थापित कर दी है। आप्टे की यह मूर्ति ग्वालियर में तैयार हुई है। आप्टे की मूर्ति गोडसे की मूर्ति के साथ लगाई गई है जोकि वहां पहले से स्थापित है। स्मरण रहे आज ही के दिन 15 नवम्बर 1949 को गोडसे और आप्टे को अंबाला जेल में फांसी पर लटकाया गया था।
एक वरिष्ठ पत्रकार ने 10 सितंबर को इस बारे में ख़बर दी थी कि ग्वालियर में चोरी छुपे आप्टे की मूर्ति बनकर तैयार हो गयी है। इसे गुपचुप तरीक़े से मेरठ रवाना किया जा चुका है। मूर्ति रवाना होने के बाद हिन्दू महासभा की बैठक में भी भी इसके बारे में बताया गया था। स्मरण रहे कुछ साल पहले हिन्दू महासभा ने ग्वालियर में गोडसे की मूर्ति स्थापित कर दी थी जिसे जन विरोध के बाद प्रशासन ने ज़ब्त कर थाने के मालखाने में जमा कर दिया था।
◆ कौन था नारायण आप्टे..!
गांधी हत्याकांड में मुख्य आरोपी नाथूराम गोडसे का सहयोगी था नारायण दत्तात्रय आप्टे। उसे गोडसे के साथ ही 15 नवम्बर 1949 को अंबाला जेल में फांसी पर लटकाया गया था । नारायण आप्टे पुणे के संस्कृत विद्वानों के परिवार का सदस्य था। उसने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से साइंस में ग्रेजुएट की डिग्री लेने के बाद शिक्षक के रूप में कार्य किया और 1939 में हिन्दू महासभा से जुड़ गया।
उसने गोडसे के साथ मिलकर ‘अग्रणी’ नाम का अख़बार भी निकाला था। 30 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या के समय नारायण नाथूराम गोडसे के साथ था। गांधी-हत्याकांड के लिये गठित विशेष अदालत ने 10 फरवरी 1949 को गोडसे के साथ आप्टे को भी फांसी की सज़ा सुनाई थी। कुल 9 आरोपियों में से विनायक दामोदर सावरकर को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया और शेष 6 को आजीवन कारावास की सज़ा हुई थी।

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