डॉक्टरों की कमी, कैसे लड़ेंगे ओमीक्रान वायरस से

मुरैना : देश में ओमीक्रॉन वायरस ने दस्तक दे दी है। मुरैना में कब प्रवेश कर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। मुरैना के जिला अस्पताल की हकीकत यह है कि यहां ओमीक्रॉन वारयस का इलाज होना तो दूर सामान्य मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। यहां एक भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है जिससे अल्ट्रासाउण्ड तक नहीं हो पा रहे हैं, लोग बाजार में िनजी सेन्टरों पर जाकर कराने को मजबूर हैं। अस्पताल में एक भी स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है जिससे गंभीर मरीज को यहां के चिकित्सक तुरंत ग्वालियर रैफर कर देते हैं। इस बात को अस्पताल प्रशासन ने भी स्वीकारा है कि उन्हें वर्तमान में 76 डॉक्टरों के अलावा नर्सिंग स्टॉफ की जरूरत है। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन ओमीक्रान वायरस से लड़ने की बात कह रहे हैं।
आपको बता दें, कि ओमीक्रॉन वायरस देश में दस्तक दे चुका है। लेकिन जिले में 76 डॉक्टरों की कमी है। इस बात का खुलासा स्वयं जिले के सीएमएचओ डॉ. एडी शर्मा ने गत दिवस पत्रकार वार्ता में किया है। उन्होंने कहा कि हमने लगभग दो माह पहले ही इन डॉक्टरों को मंगाने के लिए कलेक्टर के माध्यम से राज्य शासन को पत्र भेज दिया है। इसके बावजूद अभी तक डॉक्टर नहीं मिल सके हैं।
यह डॉक्टरों की तुरंत आवश्यकता
आपको बता दें, कि ओमीक्रान वायरस की बात तो अलग मौजूदा स्थिति में कई डॉक्टरों की तुरंत आवश्यकता है। इनमें 10 पीजीएमओ (पोस्ट ग्रेजुएट मेडीकल ऑफीसर) चाहिए जबकि वर्तमान में केवल दो ही हैं। अस्पताल में एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है, हाल ही में 5 विशेषज्ञों की जरूरत है। अस्पताल में एक भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है जबकि तीन अर्जन्ट में चाहिए। एक रेडियोलॉजिस्ट था वह रिटायर हो चुका है। इसके अभाव में अल्ट्रासाउण्ड मशीन बंद पड़ी है और मरीजों को 800-1000 रुपए खर्च करके बाहर कराना पड़ रहा है। यह स्थित मौजूदा स्थिति की है जबकि ओमीक्रॉन से लड़ने के लिए अलग से डॉक्टरों की जरूरत है।
कस्बों में नहीं डॉक्टर
आपको बता दें, कि जिले के अंबाह, पोरसा, जौरा, कैलारस, सबलगढ़, पहाड़गढ़, सुमावली, बानमौर व नूराबाद में डॉक्टरों की बहुत कमी है। यहां एक दो डॉक्टर हैं लेकिन वह केवल मल्लम पट्टी करने भर के लिए हैं। गंभीर मरीज आने पर वह जिला अस्पताल मुरैना रैफर कर देते हैं और जिला अस्पताल मुरैना उन्हें ग्वालियर रैफर कर देता है।
एम्बूलेंस का टोटा
जिला अस्पताल में जो शासकीय एम्बूलेंस हैं वह पुरानी व कंडम हो चुकी हैं। उनके ड्राइवर पहले ही मरीज से कहने लगते हैं कि गाड़ी इतनी दूर जाने लायक नहीं है। लिहाजा मरीज निजी एम्बूलेंस में पैसा खर्च करके अपने मरीज को ले जाता है। वहीं दूसरी तरफ जिले के कस्बों व तहसीलों में मौजूद अस्पतालों की बात करें तो यहां एक-एक एम्बूलेंस है जिनमें आधी से अधिक खराब पड़ी हैं। अब ऐसी स्थित में ओमीक्रानॅ तो दूर की बात सामान्य मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है।
हमने राज्य शासन से मांगे हैं चिकित्सक
हमने राज्य शासन को डॉक्टरों की सूची भेजकर डॉक्टर मांगे हैं। अगर शासन हमें निजी डॉक्टर हायर करने का आदेश देता है तो हायर करेंगे। फिलहाल अभी कोई आदेश नहीं आया है।
बक्की कार्तिकेयन, कलेक्टर

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