मनुष्यता एवं निस्वार्थता भारतवासियों का सबसे बड़ा धर्म – कलेक्टर श्री सिंह
स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर नीडम में हुआ वैचारक संगोष्ठी का आयोजन

ग्वालियर : वैचारिक पवित्रता एवं निस्वार्थता ही हमारा धर्म है। आत्म मंथन कर सही और गलत का निर्णय कर सहनशीलता के मार्ग पर चलना भारत वासियों की विशिष्टिता है। मनुष्यता ही भारत का दर्शन है। इसीलिए स्वामी विवेकानंद जी ने भी नर को नारायण माना। इस आशय के विचार कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने विवेकानंद नीडम में स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित हुए कार्यक्रम में व्यक्त किए।
कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि भारतीय महापुरूषों ने सदैव राष्ट्र निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने विशेष रूप से तीन आंदोलनों का उल्लेख करते हुए कहा कि छठवीं शताब्दी में महात्मा बुद्ध, मध्यकाल में संत कबीर, तुलसीदास व गुरूनानक देव जी जैसे संतजन और आधुनिक भारत में स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरूषों ने राष्ट्र निर्माण की सही राह दिखाई। उन्होंने कहा विचारों को समय सीमा में नहीं बांधा जा सकता, विचार तो युगों-युगों तक प्रासंगिक रहकर मार्गदर्शन करते हैं। इसीलिए भगवान बुद्ध की बात को स्वामी विवेकानंद जी ने आगे बढ़ाया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में भारत के वेदांत से पूरी दुनिया का परिचय कराया। साथ ही अंग्रेजों द्वारा भारत के संबंध में फैलाए गए तमाम मिथकों को तोड़ा। विवेकानंद जी ने विदेश से लौटने के बाद सबसे पहले भारत की मिट्टी का स्पर्श कर यह संदेश दिया कि भारत भूमि दुनिया में सिरमौर है। वो इसलिए कि निस्वार्थता ही हमारा धर्म है। श्री सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी धर्म और विज्ञान दोनों को जरूरी मानते थे।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में रामकृष्ण मिशन ग्वालियर के सचिव स्वामी राघवेन्द्रानंद जी ने विस्तारपूर्वक स्वामी विवेकानंद जी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी नीडम ग्वालियर के फाउण्डर मेम्बर श्री सुरेशचंद्र शर्मा द्वारा लिखित पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम के अंत में श्री आशुतोष ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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