जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का, ऐसे ही है मेडिकल कॉलेज के साहब

आजकल शहर में मेडिकल कॉलेज वाले साहब की लिंक की बड़ी चर्चा है और चर्चा हो भी क्यों न हो ,जब साहब की लिंक ही इतनी बड़ी हो । दरअसल मेडिकल कॉलेज के साहब ने जब से प्रभारी की कुर्सी संभाली है बस समझो विवादों की कुर्सी संभाल ली है , नर्सिंग भर्ती घोटाले में साहब को भोपाल तक तलब किया गया लेकिन साहब तो साहब ठहरे लिंक ने बचा लिया …. और तो और साहब के कारनामों को लेकर माननीय न्यायालय ने बाकायदा नोटिस जारी कर दिया तो साहब ने अपनी लिंक कृपा का भरोसा रख कर शिव की सरकार को अजीबोग़रीब जबाव भेज दिया जिस पर सिर्फ आम आदमी को हंसी तो साहब की जिम्मेदारी पर तरस ही आएगा ।
साहब के पास लिंक भी है और साहब की लिंक भी तगड़ी है, सो कार्यवाही होने से रही । तभी तो आजकल जयारोग्य के कैंपस से लेकर अखबारों की सुर्खियों में साहब के कारनामों का जिक्र करने वाले पत्रकार बंधु तो एक ही बात कहते सुने जा रहे हैं कि जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का । मेडिकल कॉलेज के साहब चाहे तो जयारोग्य आ जाएं या फिर लिंक चले जायें, वे सेवा के लिए नहीं बल्कि मेवा के लिए ही आते हैं । नर्सिंग भर्ती घोटाले में दो करोड़ के घोटाले की आशंका जताई जा रही तो लिंक में तो शहर में नम्बर वन मि व्यवस्था है तो मोटे मेवा ही लिए जाते हैं । लिंक में एक केंद्रीय मंत्री के भी लिंक होने की खबर भी आजकल चर्चा में है, और उन मंत्री जी से लिंक वाले साहब की लिंक तगड़ी ही नहीं बल्कि लिंक में हिस्सेदारी की खबरें आजकल मीडिया में चल रही हैं । खैर अब चर्चा तो यही है कि सैंया के कोतवाल होने की बजह से साहब पर कार्यवाही नहीं हो रही है या फिर सरकार की कोई मजबूरी है जो साहब को सीधे तौर पर संरक्षण प्रदान कर रखा है ।

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