खेतों में सरकार, अफसर कब जाएंगे और किसानों को क्या मिलेगा

इंजी. वीरबल सिंह
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संवेदनशील व्यक्तित्व वाला राजनेता कहा जाता है और माना भी जाता है । सर्दी के मौसम में देर रात रैन बसेरों में पहुँचकर बेघर लोगों के हालचाल पूछ लेना या फिर किसी शहर के दौरे के समय किसी दलित के घर पहुंच जाना और भोजन करना न केवल उनकी फितरत बन गया है बल्कि राजनीति में अंक बढ़ाने का जरिया भी । मध्यप्रदेश की जनता को भगवान कहने वाले खुद शिव अपने राज पर अभिमान नहीं लेकिन जनता का पुजारी ही कहलवाना पसंद करते हैं ।
किसानों पर कोई आपदा आ जाए तो अधिकारियों को सख्त निर्देश देकर भी श्यामला हिल्स पर चैन से नहीं बैठ पाते हैं । वे अति भावुकता से किसानों को भरोसा दिलाते हैं कि आपके हुए नुकसान की पाई पाई शिवराज चुकाएगा ,आप चिंता नहीं करना । इतना संवेदनशील होते हुए भी वे आखिरकार पहुँच ही जाते हैं किसान के खेत और नुकसान की भरपाई करने का आश्वासन देकर उड़नखटोले से अपने वातानुकूलित दफ्तर में आ ही जाते हैं लेकिन सवाल है क्या उनके कहे पर उनकी ब्यूरोक्रेसी अमल करती है और नहीं करती तो शिवराज सिंह एक्शन क्यों नहीं लेते ,कहीं ये राजनीति का स्टैंड तो नहीं… सवाल तो उठते रहे हैं और उठ भी रहे हैं।
दरअसल बीते दिनों हुई अतिवृष्टि में किसानों की फसल बर्बाद हो गई, खुद शिवराज सिंह किसानों के खेतों में नुकसान का जायजा लेने पहुंचे थे और साथ में उनकी सरकार भी । सवाल है कि सरकार खेतों में पहुंची लेकिन अफसर कब पहुंचेंगे ,क्या सरकार के कर्मचारी किसान की फसलों का सही आंकलन करेंगे… और क्या उसके बाद किसानों को कुछ मिलेगा या फिर हर बार की तरह उन्हीं खोखले आश्वासन से ही तसल्ली करनी पड़ेगी । ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि कुछ महीनों पहले ही जब अंचल में बाढ़ आई थी तब भी वही हुआ जो अब हो रहा है, सरकार और शिवराज दोनों जनता के बीच पहुंचे, अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने चहेतों को लाभ दिला दिया लेकिन लाचार और बेबस छोटा किसान और मजदूर आज भी सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं और वो भली भांति जानता है कि ये कोई पहली बार नहीं है जब उसके साथ ठगी हो रही है ।

Subscribe to my channel



