जेएएच अधीक्षक डॉ. धाकड़ के खिलाफ झूठी शिकायत, शिकायत कर्ताओं ने दी सफाई

ग्वालियर। अपनी कर्तव्य निष्ठा और कर्तव्य परायणता के साथ-साथ अपने काम के प्रति पूरी जिम्मेदारी से कार्य करने के लिए जाने जाने वाले जयारोग्य अस्पताल समूह के संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक डॉ आर के एस धाकड़ के खिलाफ एक झूठी शिकायत की गई । डॉ. धाकड़ जितने अपने काम के प्रति जिम्मेदार रहते हैं वे उतनी ही जिम्मेदारी के साथ अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से कार्य करवाते भी हैं और इसी के चलते यह शिकायत की गई । जानकारी के अनुसार जयारोग्य अस्पताल समूह के अधीक्षक डॉ. आर. के एस. धाकड़ को कर्मचारियों से सख्ती से काम करना भारी पड़ रहा है, हालांकि अधीक्षक की कार्य शैली से काम करने वाले और अस्पताल में कार्य कम और नेतागिरी अधिक करने वालो में आपसी विवाद खड़ा हो गया।
दरअसल मामला दो दिन पहले का है जब अधीक्षक की शिकायत अस्पताल के कर्मचारी संगठन मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी ने की। संघ के कुछ नेताओ ने अधीक्षक की कार्यशैली का विरोध कर अधीक्षक को हटाए की मांग की, लेकिन दिलचस्प मामला यह है कि उसी संघ के काम को प्रमुखता देने वाले पदाधिकारियों ने अधीक्षक को लिखित में दिया कि संगठन में उनके नाम पर झूठी शिकायत की है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ ने डॉ आर. के. एस. धाकड़ अधीक्षक द्वारा अपने एक अधिकारी एवं तथाकथित मीडिया कर्मी द्वारा नर्सेज को प्रभारी मेट्रन के जरिए ड्यूटी के संबध में मानसिक रूप से परेशान करवाने का आरोप लगाकर शिकायत की थी, लेकिन शिकायत के बाद संघ के तीन बड़े पदाधिकारियों ने अधीक्षक के सामने सच्चाई रखी।मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के सचिव राज कुमार चौहान,उपाध्यक्ष शिवनारायण परमार ओर कोषाध्यक्ष नरेंद्र गहलोत ने शिकायत में उनके नाम पर झूठी शिकायत की बात कही। इतना ही नही एक लिखित पत्र अधीक्षक को लिख कर उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि इस शिकायत से उनका कोई ताल्लुक नहीं है बल्कि संगठन ने उनके नाम का इस्तेमाल कर झूठी शिकायत की है ।इन पदाधिकारी ने कहा कि व्यक्तिगत हितों को साधने के लिए उनके नामो से शिकायत की गई। आपको बता दें कि अधीक्षक डॉ. आर. के. एस. धाकड़ ने जबसे पदभार संभाला है तबसे अस्पताल परिसर से असामाजिक तत्वों को खदेड़ने का काम लगातार चल रहा है । यही नहीं संस्थान के अंदर अपने कार्य के प्रति लापरवाही बरतने वालों पर भी गाज गिर रही है और इसी के चलते कर्मचारियों का एक तबका उनसे नाराज भी चल रहा है क्योंकि अब उन्हें अपने कार्य जिम्मेदारी से करने पड़ रहे हैं । इससे पहले वे केवल कुर्सियां तोड़ने और कोरी नेतागिरी के लिए ही अस्पताल आते थे ना कि अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए ।


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