जौरा के सूबेदार को कांग्रेस से कौन देगा चुनौती ?

2023 के चुनावी समर में भले ही पूरे एक साल का वक़्त है लेकिन राजनैतिक दृष्टि से अब समय नजदीक है तभी भारतीय जनता पार्टी द्वारा बूथ से लेकर प्रदेश कार्यालय तक क्रियाकलाप जारी है ताकि जनता से संवाद बना रहे तो वहीं कांग्रेस सूबे में नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं की कमी से तो जूझ ही रही है साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए शीत युद्ध जारी है और एक दूसरे की टांग खींच रहे हैं, नगरीय निकाय चुनावों में मिली जीत से आम आदमी पार्टी भी खासी उत्साहित है और सूबे में 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है ।
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी 2013 में पहली बार अपना विधायक बनाने में कामयाब हो पाई थी, 2013 के चुनाव में भाजपा के सूबेदार सिंह सिकरवार ने सिटिंग एमएलए बसपा के मनीराम धाकड़ को चुनाव हराया था लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस के बनवारी लाल शर्मा ने सूबेदार खासी मात दी और विधायक बनकर विधानसभा पहुँच गए, उम्र दराज बनवारीलाल लंबी बीमारी से पीड़ित होने के कारण दिवंगत हो गए और सत्ता के उलटफेर के साथ ही यहाँ भी उपचुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस ने युवा नेता पंकज उपाध्याय को टिकिट दिया तो वहीं भाजपा ने एक बार फिर सूबेदार सिंह पर ही भरोसा किया और सूबेदार सिंह रजौधा पार्टी के विश्वास पर खरे उतरे हालांकि टिकिट मिलने से पहले पार्टी के तमाम स्थानीय नेताओं द्वारा रजौधा का जमकर विरोध हुआ । 2023 में भाजपा की ओर से अघोषित उम्मीदवार सूबेदार सिंह ही हैं लेकिन कांग्रेस में घमासान होने के आसार हैं और सवाल है कि आखिर 2023 में सूबेदार को चुनौती कौन देगा ।
2023 में भाजपा और कांग्रेस के प्रमुख दावेदार
सूबेदार सिंह : सुबेदार सिंह रजौधा भारतीय जनता पार्टी के दो बार के और सिटिंग एमएलए हैं, पार्टी को पहली बार जीत देने वाले सूबेदार पर हार के बाद भी भरोसा किया तो जाहिर सी बात है एक बार फिर पार्टी उन्हीं पर भरोसा करेगी हालांकि भाजपा के तमाम और नेता भी टिकिट के लिए प्रयासरत होंगे ।
पंकज उपाध्याय : उपचुनाव 2020 में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे पंकज उपाध्याय क्षेत्र की अधिकतर जनता के लिए नया चेहरा था लेकिन व्यवसायी पंकज उपाध्याय धनबल के आधार राजनीति करना चाहते हैं हालांकि उपचुनाव के बाद वे क्षेत्र में सक्रिय हैं और 2023 में टिकिट लिए कोशिश करेंगे ।
राकेश यादव : सबसे कम उम्र में मुरैना को जिला पंचायत अध्यक्ष ( राज्यमंत्री दर्जा ) देने वाले राकेश यादव लंबे समय से विधानसभा के लिए प्रयासरत हैं, लगातार पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत भी कर रहे हैं और आजकल कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों से सतत संपर्क में है ।
संजय सिंह यादव : बनवारी लाल शर्मा के निधन के बाद खाली हुई सीट पर तत्कालीन कैबिनेट मंत्री और मुरैना जिले के प्रभारी मंत्री लाखन सिंह यादव के भतीजे संजय सिंह यादव सक्रिय हो गए थे और उपचुनाव में भी टिकिट की दावेदारी पेश कर रहे थे, संजय सिंह वर्तमान में युवा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं और जौरा विधानसभा की गली गली घूमकर जनता से संवाद कर रहे हैं। इसके अलावा भी कांग्रेस में पूर्व विधायक सूबेदार सिंह सिकरवार के बेटे भानु प्रताप सिंह सिकरवार भी प्रयासरत हैं।
मनीराम धाकड़ : 2008 में बहुजन समाज पार्टी से विधायक रहे मनीराम धाकड़ एक बार फिर चुनावी संग्राम में उतर सकते हैं, 2013 का चुनाव मनीराम नजदीकी मतों से हारे लेकिन उपचुनाव में पार्टी ने दो बार के विधायक सोनेराम कुशवाह को टिकिट दिया था, जौरा में बसपा के पास बड़ा जनाधार है।

Subscribe to my channel



