पोहरी में युवाओं का समर्थन या मंत्री जी का शक्ति प्रदर्शन

पोहरी : राजनीति कब क्या करवा ले इसका अंदाज कोई नहीं लगा सकता है, चुनाव नजदीक हैं और नेताजी नए नए कुर्ते सिलवाकर टिकिट की दावेदारी के लिए क्षेत्र में नए नए प्रकल्प कर रहे हैं। कोई भंडारे करा रहा है तो कोई रक्षाबंधन बीत जाने के बाद भी ग्रामीण महिलाओं से राखी बंधवाकर साड़ियां बांट रहा है। हर सीट पर हर एक दल से एक अनार सौ बीमार बैठे हैं, प्रमुख राजनीतिक दल शक्ति प्रदर्शन करने के लिए जन आशीर्वाद यात्रा और जन आक्रोश यात्रा निकाल रहे हैं, अनुमान है जितना धन इन यात्राओं पर खर्च हो रहा है उसका कुछ प्रतिशत जनता की मूलभूत सुविधाओं के लिए खर्च किया होता तो एंटी इनकंबेशी के हालात से गुजर रही भाजपा को 20 फीट ऊंचे रथ पर सवार होकर आशीर्वाद लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
अब बात पोहरी विधानसभा क्षेत्र की है, यहां के राजनीतिक समीकरण सबसे अलग है, राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस सीट पर 2018 और 2020 के चुनाव में जीत दिलाने के लिए युवाओं ने अपना पसीना बहाया था, बताया जाता है कि जीतने के बाद सत्ता की ठसक में जीतने वाले युवाओं को भुला बैठे नतीजन 2023 के चुनावी बेला के पूर्व युवाओं ने भी बगावत कर दी, क्षेत्र में युवाओं के बगावती सुर इतने तेज हो गए कि माननीय विधायक के चेहरे पर न केवल चिंता की सिलवटें दिखाई दे रही बल्कि राजनीतिक हवा का भी रुख बदलने लगा । बीते कुछ दिनों में युवाओं की टोली लगातार क्षेत्रीय विधायक के समर्थन में सड़क पर उतर आए और शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। बिना किसी राजनीतिक कार्यक्रम के बैराड़ से पोहरी तक पहुंची युवाओं की फौज का मंत्री के जनता दरबार में अभिनंदन फिर बैराड़ में युवाओं से मंत्री जी का संवाद और फिर पोहरी की सड़कों पर ढलती शाम के अंधियारे में निकली युवाओं की टोली द्वारा क्षेत्रीय विधायक के समर्थन में लगे नारों की आवाज समर्थन है या फिर आए दिन माननीय द्वारा शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है। युवाओं के इस समर्थन को लेकर सोशल मीडिया पर विरोधियों द्वारा खूब चुटकी ली जा रही है और इस भीड़ को समर्थक नहीं बल्कि भाड़े की भीड़ बताया जा रहा है हालांकि इस प्रकार की वायरल पोस्ट की सत्यता की पुष्टि हम नहीं कर रहे हैं लेकिन सवाल वही है कि जब इनके युवा समर्थक साथ छोड़ गए थे जो सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं वो युवा कौन हैं,साथ ही साथ छोड़ने वाले युवाओं के साथ माननीय ने छल किया था या फिर अपनी निजी महत्त्वाकांक्षाओं के चलते युवा एक एक कर किनारे होते गए, अब देखना होगा कि आगामी चुनाव में ये युवा कितना फायदा पहुंचाएंगे ।

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