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ज्ञान को जीवन में उतारना जरूरी : राज्यपाल पटेल

राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस एवं धनवंतरि जयंती कार्यक्रम सम्पन्न

राज्यपाल शमंगुभाई पटेल ने कहा है कि ज्ञान को जीवन में उतारना जरूरी है। अच्छी बातों को दिमाग में नहीं आचरण में रखना चाहिए। स्वास्थ्य के लिए क्या सही है और क्या गलत इसकी जानकारी होने के बाद भी उसका पालन नहीं करना ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण है।

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राज्यपाल शपटेल आज राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस एवं धनवंतरि जयंती के कार्यक्रम को मिन्टो हॉल में संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद संस्थान और आरोग्य भारती के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।

राज्यपाल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते है कि जान है तो जहान है। इसे समझना जरूरी है। उन्होंने एक प्रसंग का जिक्र करते हुए बताया कि तम्बाकू की फसल की घेराबंदी नहीं की जाती क्योंकि उसे पशु नहीं खाते है। सिगरेट की डिब्बी पर भी स्वास्थ्य के लिए घातक होने की चेतावनी अंकित रहती है। फिर भी लोग तंबाकू खाते और सिगरेट पीते है। स्वास्थ्य की देखभाल और सावधानियों का पालन व्यक्ति की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद से आरोग्य का ज्ञान बहुत लोगों को है। जरूरत उसे अपनाने की है। स्वस्थ जीवन के लिए खान-पान बहुत महत्वपूर्ण है। जड़ी-बूटियाँ और वनस्पतियों में होने वाले गुणों के संबंध में समाज में जागृति बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए। राज्यपाल पटेल ने कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन से किया। स्मारिका का विमोचन किया। जबलपुर के होम्योपैथिक चिकित्सक एन.सोलिएप्पन और रीवा के आयुर्वेदाचार्य वंशवर्धन तिवारी का उत्कृष्ट सेवा कार्यों के लिए सम्मान किया गया।

आयुष राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार रामकिशोर कांवरे ने बताया कि प्रदेश में अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियाँ उपलब्ध है। हर्बल गार्डन की रचना की गई है। महाविद्यालयों में शोध के कार्य भी कराए जा रहे है। उन्होंने कहा कि कोरोना की महामारी के दौरान विभाग द्वारा आगे बढ़कर उपचार और रोकथाम के कार्यों में सहयोग किया गया है। योग से निरोग के ऑनलाइन कार्यक्रम के द्वारा कोविड पीड़ितों में सकारात्मकता और मनोबल बढ़ाने के कार्य किए गए। आहार-विहार और जीवन-शैली के प्रति जन-जागृति के लिए वेलनेस सेंटर चलाए गए। गाँव-गाँव में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानें के प्रयास किए गए है।

कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता डॉ. अशोक कुमार वार्ष्णेय ने बताया कि देश आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का आव्हान किया कि वे 75 व्यक्तियों और परिवारों में आरोग्य के प्रति जागृति उत्पन्न करें। अपने स्वास्थ्य की रक्षा अपना अधिकार और कर्त्तव्य मानकर करें। उन्होंने बताया कि एक अनुमान के अनुसार 83 प्रतिशत रोग जीवन-शैली जनित होते है। जीवन-शैली में सुधार कर उन्हें रोका जा सकता है।

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कार्यक्रम में महासचिव आरोग्य भारती सुनील जोशी ने संस्था के कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्था का प्रयास स्वास्थ्य के प्रति जागृति और जीवन-शैली संबंधी जानकारियों को व्यापक स्तर पर प्रसारित करना है। उन्होंने बताया कि संस्था में चिकित्सक, विद्यार्थी सहित समाज के सभी क्षेत्रों के लोग शामिल है। संस्था में आरोग्य के लिए समाज सेवा को तत्पर सभी व्यक्तियों का स्वागत किया जाता है।

कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद संस्थान भोपाल के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला ने दिया। आभार प्रदर्शन आरोग्य भारती के श्री मधुसूदन द्वारा किया गया। कार्यक्रम में धनवंतरि स्तवन का वाचन सोनल श्रीवास्तव ने किया।

Chief Editor JKA

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