PLACE-YOUR-ADVERT-HERE
add-banner
IMG-20231202-WA0031
IMG_20220718_112253
IMG-20250516-WA0020
IMG-20250516-WA0017
ताजा ख़बरेंदिल्लीब्रेकिंग न्यूज़भोपालमध्य प्रदेशराजनीतिराज्यविशेषशिवपुरी

लोकसभा चुनाव : सिंधिया को अपनों से ही मिली कड़ी टक्कर

गुना - शिवपुरी लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने चला यादव कार्ड

लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद भारतीय जनता पार्टी देशभर में 400 पार तो मध्यप्रदेश में 29 की 29 लोकसभा सीट जीतने की कोशिश में है, इसके इतर कांग्रेस अभी तक अपने प्रत्याशियों का चयन करने में ही फंसी हुई है , हालांकि गुना लोकसभा सीट से कांग्रेस ने राव यादवेंद्र सिंह यादव को सिंधिया के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है। यादवेंद्र सिंह वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं और लंबे समय से उनका परिवार भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय राजनीति का हिस्सा रहे हैं। पिता देशराज सिंह तीन बार विधायक तो मां और स्वयं यादवेंद्र सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष रहे हैं। यादवेंद्र सिंह के पिता स्वर्गीय देशराज सिंह दो बार लोकसभा चुनाव लडे , पहला चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता स्वर्गीय माधव राव सिंधिया के साथ लड़े और करीब दो लाख से भी अधिक वोटों से चुनाव हार गए थे, माधव राव सिंधिया के निधन के बाद हुए उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ देशराज को भाजपा ने एक बार फिर टिकिट दिया लेकिन सहानुभूति की लहर में सिंधिया ने देशराज को करीब चार लाख से भी अधिक वोटों से हराया। 2023 के आम विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी को अलविदा कह काग्रेस का हाथ थामने वाले यादवेंद्र सिंह यादव को कांग्रेस ने टिकिट तो दिया लेकिन यादवेंद्र सिंह चुनाव हार गए ।

No Slide Found In Slider.

2004 और 2019 में सिंधिया को अपनों से ही मिली चुनौती

गुना सीट सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट रही है, पहले राजमाता विज्याराजे सिंधिया और फिर माधवराव सिंधिया यहां से सांसद बनते रहे हैं और उसके बाद तीसरी पीढ़ी के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी लगातार यहां से चुनाव जीतते रहे और जीत तीनों ही पीढ़ी में सिंधिया परिवार को जीत का मार्जिन अच्छा मिलता रहा, कई बार भारतीय जनता पार्टी ने तत्कालीन कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के किले को ढहाने के प्रयास किए लेकिन सिंधिया अजेय योद्धा बने रहे। 2004 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन कांग्रेस नेता और पोहरी के पूर्व विधायक हरिवल्लभ शुक्ला को भाजपा में शामिल कर सिंधिया के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा तो सिंधिया स्टार प्रचारक होने के बाद न केवल अपनी सीट तक ही सीमित रहे बल्कि जीत का अंतर लाखों से हजारों पर आ गया था, इसके बाद भाजपा फिर इसी प्रयास में थी कि सिंधिया को किसी न किसी तरह से घेरना है तो 2018 में माफ करो महाराज … तो उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता और सिंधिया समर्थक डॉ. केपी यादव को भाजपा प्रत्याशी बनाकर सिंधिया को उनके ही किले में ऐसा घेरा कि दशकों से गुना सीट पर कब्जा जमाए बैठे सिंधिया परिवार के मुखिया को लाखों वोटों के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा।

2024 फिर दोहराएगा इतिहास ..?

2004 और 2019 का इतिहास एक बार फिर 2024 में दोहराएगा ,इस बात की चर्चा राजनीतिक गलियारों में तेज है , पूर्व में तत्कालीन कांग्रेस नेता सिंधिया को घेरने कांग्रेस के नेता को भाजपा में शामिल कर पहले कड़ी टक्कर बाद में शिकस्त दी थी और अब यही फॉर्मूला कांग्रेस ने लगाया है, भाजपा नेता को कांग्रेस में शामिल कर अब के भाजपाई सिंधिया को चुनौती दी है। कांग्रेस ने सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखते हुए यादव समाज के व्यक्ति को टिकिट देकर ट्रंप कार्ड चला है हालांकि इसकी काट भाजपा मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को बता रही है लेकिन कांग्रेस का दांव फिलहाल तो ठीक है लेकिन भविष्य बताएगा कि क्या होगा ।

PicsArt_10-26-02.06.05
Chief Editor JKA

FB_IMG_1657898474749
IMG-20250308-WA0007

Related Articles

Back to top button