PLACE-YOUR-ADVERT-HERE
add-banner
IMG-20231202-WA0031
IMG_20220718_112253
IMG-20250516-WA0020
IMG-20250516-WA0017
ताजा ख़बरेंदेशधर्ममध्य प्रदेशविशेष

बुजुर्गों के आशीर्वाद से मिलती है सुख व शांति –पं.घनश्याम शास्त्री जी

लोग निन्दा करें तो करने दो। प्रशंसा में तो मनुष्य फंस सकता है। निन्दा में पाप नष्ट होते हैं। कोई झूठी निन्दा करें तो चुप रहो। सफाई मत दो। सत्य की सफाई देना सत्य का निरादर है। पारदी मोहले शिंदे की छावनी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन सुप्रसिद्ध भागवताचार्य पं.श्री घनश्याम शास्त्री जी महाराज ने ये बातें कहीं। कि परिवार के सभी सदस्य प्रतिदिन प्रातः काल उठने के साथ ही वृद्ध माता-पिता, दादा-दादी तथा अपने से बड़ों के चरण -स्पर्श करते हुए नमन करें। बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलने से सुख शांति का वातावरण बना रहता है। संतसंग में जाने से पाप नष्ट होता है। वही शास्त्री ने बताया कि राजा परीक्षित ने गंगा के तट पर श्री शुकदेवजी से पूछा कि जो व्यक्ति मरने की तैयारी नहीं किया हो ऐसे व्यक्ति को क्या करना चाहिए। निर्माण पुरूष का क्या कर्तव्य होता है। तो शुकदेवजी ने बताया कि यह पूरे संसार का प्रश्न है। कोई भी व्यक्ति इस दुनिया में जीने के लिए नहीं आया है। मरने के लिए आया है। जिस दिन से हम जन्म लेते हैं, उसी दिन से हमारी मृत्यु शुरू हो जाती है। रोज हम मर ही रहे हैं। मृत्यु का मतलब है परिवर्तन। जो दुनिया हर क्षण, हर पल परिवर्तन होती है। यानी जो अभी है, वह आधे घंटे बाद नहीं रहेगा। शास्त्र में बताया गया है कि मनुष्य सतयुग में 1 लाख वर्ष जीते थे। 21 हाथ लम्बा होते थे। समाधि लगाकर भगवान को प्रसन्न करते थे। त्रेतायुग में दस हजार वर्ष जीते थे। चौदह हाथ लम्बा होते थे। यज्ञ यज्ञादि द्वारा अपना कल्याण करते थे। द्वापर में एक हजार वर्ष की आयु बताई गई है। उस समय मंदिर पूजा द्वारा अपना कल्याण करते थे। कलियुग में 100 वर्ष की आयु बतायी गई थी। इसमें भगवान को पाने का सबसे सहज और सरल उपाय है परमात्मा की गुण, भजन, ध्यान करना, जप करना।कलियुग में यज्ञ करना कठिन काम तुलसीदास जी ने बताया है कि कलयुग में यज्ञ करना कठिन काम है। कोई नास्तिक है। कुपंथी है। कोई कहेगा हम संत नहीं मानते हैं, हम धर्म को नहीं मानते हैं। कोई कहेगा इतना पैसा जला दिया। कई तरह के लोग कई प्रकार की बातें कहते हैं। वहीं शराब पीने में वेश्यावृत्ति करने में, गांजा पीकर धुआं उडा दिया जाता है। परंतु नास्तिक लोग उसको नहीं मानेगा। परंतु यज्ञ होगा तो उपदेश देना शुरू कर देता है। इसीलिए तुलसीदास जी ने सोचा कि कलियुग में नालायक लोग भी हो जाऐंगे। इसीलिए भगवान के नामों का जपने से तीर्थ यात्रा, यज्ञ तथा समाधि का फल मिल जाता है। इस कथा को सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे। वहीं इस दौरान लोगों को कई जानकारी दी जा रही है। कथा आयोजक महंत नरेंद्र मिश्रा पप्पी महाराज जी ने आरती उतारी

No Slide Found In Slider.
Chief Editor JKA

FB_IMG_1657898474749
IMG-20250308-WA0007

Related Articles

Back to top button