जीआरएमसी विवादों में : बीफार्मा कराती नहीं और नौकरी में वही मांगी

ग्वालियर का गजरा राजा मेडिकल कॉलेज एक बार फिर विवादों में आ गया है । लंबे समय से प्रदेश का सबसे पुराना मेडिकल कॉलेज गजराराजा मेडिकल कॉलेज सुर्खियों में बना हुआ है , कभी नर्सिंग भर्ती घोटाले को लेकर तो कभी अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर , लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है । दरअसल मामला मेडिकल कॉलेज में पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती को लेकर है और यह भर्ती होने से पहले ही विवादों में आ गई है । चिकित्सा शिक्षा विभाग ने फार्मासिस्ट की भर्ती के लिए आवेदक की फार्मा की डिग्री सरकारी मेडिकल कॉलेज से पासआउट मांगी है । लेकिन प्रदेश का कोई भी मेडिकल कॉलेज बी फार्मा का कोर्स नहीं नहीं कराता, ऐसे में प्राइवेट यूनिवर्सिटी से बी फार्मा करने वाले आवेदकों को सीधी भर्ती से बाहर कर दिया गया है ।
इस मामले पर जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि भर्ती नियमों के अनुसार ही कराई जा रही है । विभाग ने फार्मासिस्ट पदों के लिए भर्ती के दो तरीके रखे हैं इनमें पहला तो यह है कि सरकारी मेडिकल कॉलेज से पासआउट आवेदक को सीधे भर्ती से लेना है और संविदा फार्मासिस्ट पदों पर काम कर रहे आवेदकों को 20% कोटा दिया गया है । दूसरे तरीके में प्राइवेट कॉलेज से पासआउट आवेदकों की ऑनलाइन परीक्षा ली गई है । इसकी भी मेरिट बनाई गई है लेकिन जब कई यूनिवर्सिटी के आवेदक बाहर हो गए हैं तो ऐसे में संविदा नौकरी कर रहे आवेदकों को लाभ मिलेगा ।
प्राइवेट कॉलेज के छात्रों के साथ भेदभाव
जीआरएमसी में पैरामेडिकल स्टाफ के 102 पदों पर सरकारी मेडिकल कॉलेज से पास आउट 500 से अधिक आवेदकों ने सीधी भर्ती में अप्लाई किया है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुझे 300 से अधिक आवेदक पात्र हैं । इस कारण प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज से पासआउट ने भी ऑनलाइन परीक्षा दी है उन्हें नौकरी मिलने का चांस ही नहीं है । संविदा नौकरी कर रहे 20% आवेदक को जरूर नौकरी मिलना तय है । ऐसे में प्राइवेट कॉलेज से बी फार्मा करने वालों के साथ भेदभाव हुआ है और वे खुद को ठगा इसीलिए भी महसूस कर रहे हैं क्योंकि आवेदकों ने ₹1000 फीस भरकर परीक्षा दी थी । परीक्षा देने के कुछ समय बाद विभाग ने सरकारी मेडिकल कॉलेज से सीधी भर्ती करने का नियम जारी किया था ।

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