महाकाल और उज्जैन को लेकर ये मिथक कितना सच

उज्जैन : द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल भगवान महाकाल पूरे देश में पूजनीय हैं। आम समेत कई हस्तियां यहां पूजा-अर्चना के लिए आ चुकी हैं। वीवीआईपी यहां दर्शन करने तो आते हैं, लेकिन रात में नहीं ठहरते। क्या इसके पीछे कोई तर्क है, कोई शास्त्रीय या शासकीय परंपरा है या इसके पीछे कोई रहस्य छिपा है? यह मिथक है कि यहाँ शीर्ष व्यक्ति रात्रि विश्राम नहीं करता है ।
एक न्यूज पेपर के अनुसार उन्होंने इस संबंध में अलग अलग लोगों से बात की तो यह जानकारी सामने निकल कर आई कि उज्जैन में हस्तियों के रात ना गुजारने को लेकर विद्वानों के अपने-अपने तर्क हैं। प्रख्यात विद्वान डॉ. मोहन गुप्त ने कहा कि वीवीआईपी उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करते, ये सब फालतू की बात है। महाकालेश्वर राजा हैं, ये तो सत्य है, लेकिन प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री वगैरह राजा नहीं हैं। प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू यहां सर्किट हाउस में ठहर चुके हैं। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद समेत उनके जैसी कई शख्सियतें उज्जैन में सर्किट हाउस में रात्रि में रुकी हैं। शायद इंदौर में सुविधाएं ज्यादा हैं, इसलिए ये लोग आजकल वापस लौट जाते हैं, लेकिन उज्जैन में ठहरने में कोई आपत्ति नहीं है।
वयोवृद्ध इतिहासकार डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित बताते हैं कि ये केवल एक अफवाह है जो एक बार चली तो चलती गई, अकारण। ऐसा कोई नियम नहीं है और ना ही इस तरह का कोई प्रमाण उपलब्ध है। महाकवि कालिदास ने तो ‘रघुवंशम’ में उल्लेख किया है कि राजा का राजमहल महाकालेश्वर मंदिर के पास में स्थित था। मालूम नहीं ये परम्परा कहां से चालू हो गई? उज्जैन से जुड़ा ऐसा कोई शकुन या अपशकुन भी नहीं है।
प्रसिद्ध ज्योतिर्विद पंडित आनंद शंकर व्यास के अनुसार, ग्वालियर स्टेट के जमाने में ये मान्यता जरूर थी कि स्टेट के राजा महाकाल जी को उज्जैन का सम्राट मानते थे। एक राज्य में दो राजा नहीं रुकते थे, तो वे खुद नगर सीमा के बाहर ठहरा करते थे। ना मालूम वीवीआपीपी लोगों को कौन फीडबैक दे देता है जो वे किसी भय की आशंका से उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करते?

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