पोहरी : सलोनी सिंह की राजनीतिक राह कितनी आसान

राजनीतिक : : भारतीय जनता पार्टी को कैडर बेस पार्टी कहा जाता है, यहाँ रहकर कब और कौन राजनीति के शिखर को छू ले कुछ भी कहना आसान नहीं है, कार्यकर्ताओं को महत्वत्ता देना ही इस पार्टी की विचारधारा माना जाता है, सत्ता के लिए विरोधियों से हाथ मिलाने में भी भाजपा ने कभी गुरेज नहीं किया है । आज हम बात कर रहे हैं शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा क्षेत्र में वर्षों से पार्टी के लिए कार्यरत कार्यकर्ता डॉ सलोनी सिंह धाकड़ की, डॉ करीब डेढ़ दशक से अधिक समय से पोहरी की गली गली की खाक छान रही हैं, कभी धार्मिक आयोजनों से तो कभी मेडिकल कैम्प लगाकर जनता के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश की है, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पोहरी विधानसभा और अन्य क्षेत्रों में पार्टी के लिए काम करते देखा गया है , और इस प्रकार डॉ धाकड़ लगातार तमाम प्रकल्पों के माध्यम से अपनी राजनीतिक बिसात बिछा रही हैं ।
पोहरी विधानसभा धाकड़ बाहुल्य सीट है और जातिगत वोट बैंक के आधार पर ही डॉ धाकड़ अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं, ग्वालियर में निवासरत डॉ सलोनी सिंह धाकड़ के लिए इसी विधानसभा के चयन का एक मुख्य कारण ये भी है कि इसी क्षेत्र में उनके भाई स्व. देवराज सिंह किरार पूर्व प्रदेश सचिव कांग्रेस ने लंबे समय तक जनसेवा के मार्ग को प्रसस्थ किया था और पूछने पर डॉ धाकड़ बताती हैं कि भाई के सपनों को पूरा करने के लिए ही उन्होंने इस क्षेत्र की राजनीति को चुना है, भाई के कार्य दल कांग्रेस के इतर भाजपा को चुनना डॉ धाकड़ के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व और कृतित्व कारण है । डॉ धाकड़ लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय हैं लेकिन पार्टी उनके लिए कितना सोचती है ये बीते सभी चुनावों को देखने से साफ दिखाई देता है, कि पार्टी न केवल पोहरी विधानसभा बल्कि अन्य क्षेत्रों की जिम्मेदारी भी डॉ धाकड़ को देती है । डॉ धाकड़ के लिए एक महिला नेत्री होना और किरार समाज से होना और क्षेत्र में न केवल किरार समाज बल्कि सलोनी सिंह एक नेत्री हैं जिनको सभी वर्ग और समाज का समर्थन प्राप्त है और यही मजबूत पक्ष है तो विधानसभा क्षेत्र से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर निवास करना, नकारात्मक पक्ष साबित होता है, राजनीति में गॉड फादर होना आवश्यक हो गया है लेकिन सलोनी सिंह का किसी भी गुट से नहीं होना कभी कभी लाभदायक सिद्ध होता है तो कभी कभी टिकिट वितरण के समय कमजोरी साबित हो जाता है, हालांकि डॉ सलोनी सिंह को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समर्थक मानने के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से नजदीकियां किसी से छुपी नहीं है, प्रहलाद भारती के चुनाव हारने के बाद सलोनी सिंह की दावेदारी मजबूत हो सकती थी लेकिन सिंधियाई नेता सुरेश राठखेड़ा के भाजपा में आने से,उनके शिवराज सरकार में मंत्री बनने के बाद और उपचुनाव में बढ़े जीत के अंतर को देखकर तो यही कहा जा सकता है कि डॉ सलोनी सिंह की राह आसान नहीं है उन्हें अभी और इंतजार करना पड़ सकता है ।

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