OBC सीटों पर चुनाव कराने पर रोक, कोर्ट ने कहा- आग से मत खेलो

मध्य प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश ओबीसी सीटों को लेकर मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से 4 दिसंबर को जारी चुनाव अधिसूचना पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की बेंच ने राज्य निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य वर्ग के लिए अधिसूचित करने के निर्देश दिए हैं।
बेंच ने कहा कि ओबीसी रिजर्वेशन नोटिफिकेशन सुप्रीम कोर्ट के विकास किशनराव गवली बनाम महाराष्ट्र सरकार फैसले के विरुद्ध है। बेंच ने यह भी कहा कि इसी तरह का ओबीसी कोटा महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में लागू किया गया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
यह है आदेश
जस्टिस खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा- “मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना में ओबीसी के लिए 27% सीटों को आरक्षित रखा गया है। यह आरक्षण महाराष्ट्र के संबंध में हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। हम राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश देते हैं कि वह सभी स्थानीय निकायों में ओबीसी सीटों के लिए आरक्षित चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाए। उन सीटों को सामान्य वर्ग के लिए दोबारा नोटिफाई किया जाए।”
अध्यादेश पर हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर वकील विवेक तनखा ने कहा कि हाईकोर्ट ने 21 नवंबर 2021 को जारी अध्यादेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए जनवरी की तारीख दी है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला हाईकोर्ट में सुना जा रहा है। उस पर अंतिम फैसला आने के बाद ही चुनावों के नतीजे तय होंगे। बेंच ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में भी ऐसा ही मामला था। महाराष्ट्र में भी चुनाव होने दिए थे। बाद में चुनावों को रद्द कर दिया गया था। हम आपको हाईकोर्ट के सामने अपनी याचिका में संशोधन करते हुए राहत की मांग करने की अनुमति देते हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग को लगाई फटकार
बेंच ने कहा कि आप तत्काल अपनी गलती सुधारिए। सरकार आपसे क्या कह रही है, यह मत सुनो। कानून जो कहता है, वह करो। अगर चुनाव संविधान के अनुसार हो रहे हैं, तो कराइए। हम चाहते हैं कि टैक्सपेयर्स के पैसे का नुकसान न हो। हम नहीं चाहते कि राज्य निर्वाचन आयोग किसी और के कहने पर कुछ भी करे। हम इस मामले में और ज्यादा कंफ्यूजन नहीं चाहते। अगर चुनाव कराए, तो जनता का पैसा बर्बाद भी हो सकता है। आप उसकी चिंता करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आग से न खेलें
नोटिफिकेशन पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बेंच ने राज्य निर्वाचन आयोग से यह भी कह दिया कि प्लीज, आग से न खेलें। आपको इस परिस्थिति को समझना चाहिए। राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के आधार पर फैसले मत लीजिए। हर राज्य का पैटर्न अलग है? भारत का सिर्फ एक ही संविधान है और अब तक एक ही सुप्रीम कोर्ट है। हम नहीं चाहते कि मध्य प्रदेश में कोई भी प्रयोग हो और महाराष्ट्र जैसा फैसला वहां भी आए। तब जनता का पैसा बर्बाद होगा।

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