तो क्या ग्वालियर-चंबल के सीएम सिंधिया…

सूबे में सरकार फिर चाहे किसी की भी हो कांग्रेस या भाजपा की, लेकिन ग्वालियर – चंबल अंचल में सरकार तो सिंधिया सरकार ही चलती है । जब से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली है ,तब से ग्वालियर में उनका दखल बढ़ गया है । इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हो कि सिंधिया की शिवराज सरकार में कितनी चलती है, शिवराज के मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थक मंत्रियों की संख्या कम नहीं है बावजूद इसके सिंधिया के समर्थक नेता जो कि विधानसभा चुनाव हार गए थे , के अलावा अन्य कई नेताओं को निगम मंडल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है । भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद अब ग्वालियर चंबल अंचल के सारे फैसले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जो कि ग्वालियर की सत्ता का केंद्र हुआ करते थे ,की नहीं चलती है बल्कि सारे फैसले ज्योतिरादित्य सिंधिया के हिसाब से होते हैं ।
कैसे है सिंधिया ग्वालियर के सीएम…
आजकल राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि ग्वालियर चंबल अंचल में सीएम शिवराज सिंह नहीं बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया है । ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि ग्वालियर क्षेत्र में 2 ऐसे मामले सामने आए हैं जिनके चलते न केवल शिवराज सिंह चौहान की सरकार बल्कि भारतीय जनता पार्टी भी अंदर खाने में परेशान दिखाई देती है । दरअसल मामला यह है कि ग्वालियर में आईजी की पदस्थापना करने के लिए शिवराज सरकार ने जल्दबाजी में सिंधिया की सहमति लेना जरूरी नहीं समझा ,परिणाम स्वरूप आईजी की पदस्थापना 3 महीने तक अटकी रही और बताया जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व के द्वारा सिंधिया से सामंजस करके ही आईजी की पद स्थापना हो सकी । इसके अलावा एक और मामला चंबल संभाग आयुक्त को लेकर है , चंबल संभाग आयुक्त का पद खाली है जिसका प्रभार ग्वालियर संभाग आयुक्त को दिया गया है । बताया जा रहा है कि जिन नामों पर सरकार विचार कर रही है उन पर सिंधिया सहमत नहीं है और इसी के चलते ही अभी तक चंबल संभाग आयुक्त की कुर्सी खाली है और कुर्सी खाली होने के चलते कई विकास कार्य मैं अवरुद्ध पैदा हो रहा है । इन सभी कारणों को देखते हुए एक ही चर्चा है कि ग्वालियर चंबल अंचल में सीएम शिवराज सिंह नहीं बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया है ।


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