जीआरएमसी : लापरवाहों पर इतनी मेहरबानी क्यों.

गजरा राजा मेडिकल कॉलेज अब लगातार विवादों में है । यहां एक से बढ़कर एक कारनामे हो रहे हैं , लेकिन जिम्मेदार अपने आंखें बंद करके बैठे हुए हैं । मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग भर्ती घोटाला पूरे प्रदेश में गूंज रहा है । एक तरफ अखबारों की सुर्खियां बन कर छप रहा है तो वहीं मीडिया में हेडलाइंस और समाज और देश की चिंता करने वालों ने उक्त मामले को हाईकोर्ट में पहुंचा दिया । मामला उसके बाद भोपाल पहुंचा तो और भी हाईप्रोफाइल हो गया लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी जिम्मेदार डीन साहब पर आज तक आँच नहीं आई है बल्कि जवाब में हास्यास्पद जवाब देते हुए प्रभारी डीन साहब का कहना था कि जो लोग अनियमितताओं के चलते नौकरी से वंचित रह गए उन्हें 2029 तक नौकरी दे दी जाएगी लेकिन सवाल फिर वही आता है कि क्या डीन साहब को इतना विश्वास है कि 2029 तक डीन बने रहेंगे या अभ्यर्थी 2029 तक उसी नौकरी के भरोसे बैठा रहेगा । कहने वाले कहते हैं कि डीन साहब को एक केंद्रीय मंत्री का संरक्षण प्राप्त है और वैसे भी कहावत है कि कमाऊ पूत किसे अच्छा नहीं लगता । डीन साहब सेवा के नाम पर मेवा लूटने का काम कर रहे हैं । एक तरफ सरकारी नौकरी तो दूसरी तरफ निजी अस्पताल, जबकि नियम कहते हैं कि डीन के पद पर रहते हुए प्रैक्टिस नहीं की जा सकती जबकि वर्तमान प्रभारी डीन तो अपना निजी अस्पताल का संचालन कर रहे हैं वो भी ग्वालियर जैसे शहर में सबसे बड़े अस्पताल के रूप में । सरकार की नुमाइंदगी करने वाले राजनेताओं के संरक्षण पर इस प्रकार के आला अधिकारी फलते और फूलते हैं । कार्यवाही के नाम पर टालमटोल करके आम आदमी का हक छीना जाता है । डीन साहब पर आखिर कब कार्यवाही होगी और यदि कार्यवाही नहीं हो रही है तो इसके पीछे किसका हाथ है और यदि यही हाल चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब प्रदेश के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेज की छवि प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में धूमिल हो जाएगी ।

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