शक्कर कारखाना बचाने किसान कर्मचारी आम जनता ने मनाया धिक्कार दिवस
शक्कर कारखाना की नीलामी रोकने की मांग। 22 - 23 फरवरी को किया जाएगा घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन।

कैलारस- शक्कर कारखाना बचाओ आंदोलन नई ऊंचाइयों पर पहुंचे लगा है। आज 8 फरवरी को पुरानी सब्जी मंडी पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी ,आजाद समाज पार्टी ,आम आदमी पार्टी, अखिल भारतीय किसान सभा की ओर से धिक्कार दिवस मनाया गया।
इस दौरान सभी की ओर से कारखाना मिल हाउस की की जा रही नीलामी रोकने, कारखाने को चालू करने, मुख्यमंत्री और राजनेताओं की घोषणा पर अमल सुनिश्चित करने, किसानों कर्मचारियों का बकाया भुगतान करने, अंश धारकों का नामांतरण करने आदि मांगों को पुरजोर तरीके से उठाते हुए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन तहसीलदार को दिया गया।
इस मौके पर हुई आमसभा को विभिन्न दलों के वरिष्ठ नेता गणों ने संबोधित किया जिनमें माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह, सबलगढ़ विधायक बैजनाथ कुशवाह, पूर्व विधायक महेश दत्त मिश्रा, पूर्व विधायक सोने राम कुशवाह, पूर्व नपाध्यक्ष अशोक तिवारी ,किसान नेता गयाराम सिंह धाकड़, माकपा जिला सचिव महेश प्रजापति , कांग्रेश के कार्यवाहक जिला अध्यक्ष विष्णु अग्रवाल, भानु प्रताप सिंह सिकरवार ,कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बृजमोहन मरैया, नंदलाल खरे, प्रदेश उपाध्यक्ष मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस और कैबिनेट मंत्री लाखन सिंह के प्रतिनिधि संजय सिंह यादव, मानवेंद्र सिंह गांधी, गौतम बुद्ध नंदलाल खरे, व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष राजेश गुप्ता छात्र नेता एसएफआई के प्रांतीय सचिव राजवीर सिंह धाकड़ किसान नेता ओमप्रकाश श्रीवास किसान कांग्रेस रामविलास धाकड़ बसपा नेता बाबूलाल सोलंकी समाजसेवी मथुरा प्रसाद शर्मा गल्ला व्यवसाई संघ के अध्यक्ष राजकुमार सिंघल नरेंद्र उपाध्याय आदि ने संबोधित किया कार्यक्रम की अध्यक्षता गौतम बोध्द, डॉक्टर शरीफ कुरैशी बनवारी लाल धाकड़ पूर्व सरपंच ओम प्रकाश शर्मा द्वारा की गई।

कार्यक्रम में आगामी आंदोलन के लिए 22 व 23 फरवरी को घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन चलाने का आह्वान किया है। ज्ञातव्य हों कि शक्कर कारखाने को बचाने के लिए जनता का आंदोलन दिनों दिन गति पकड़ रहा है और सरकार की आंखों की किरकिरी बना हुआ है। इससे जिले के मुरैना बस स्टैंड, पोरसा बस स्टैंड सहित अन्य संपत्तियों की बिक्री के बारे में भी जनता में आक्रोश व्याप्त हो रहा है। यह आंदोलन सरकार के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा ऐसा सर्वदलीय नेताओं द्वारा कहा गया है।

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