चंबल में बाढ़ के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए : किसान सभा

मुरैना – गत दिनों चंबल में भीषण बाढ़ आई हुई है। इससे चंबल के सैकड़ों गांव विस्थापित हो गए हैं। चंबल के रहवासियों की हालत जर्जर है। दूसरी ओर राजनेताओं का चंबल का बाढ़ पर्यटन कार्यक्रम चल रहा है। जब बारिश की स्थिति यह है कि चंबल क्षेत्र में काफी कम वर्षा हुई है कई क्षेत्रों में तो धान और बाजरे की फसलों के लिए सिंचाई की जरूरत हो रही है। ऐसी स्थिति में चंबल की बाढ़ अपने आप में अजूबा है। यह बाढ़ कोई पहली बार नहीं आई है। बल्कि पिछले वर्षों में कई बार बाढ़ ने श्योपुर कलां से लेकर भिंड तक भीषण तबाही मचाई हुई थी। लगभग हर वर्ष चंबल में बाढ़ की स्थिति बनती है। इस वर्ष जो बाढ़ आई है वह तीनों बांधों के भरने के बाद एक साथ सात से लेकर 15 गेट तक के खोल दिए जाने के बाद आई है। इसके लिए जो बांध और बैराज में जलभराव की स्थिति देखते हैं उसका सुपरविजन करते हैं वह अधिकारी पूर्णतः जिम्मेदार हैं। सरकार भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है। ऐसी स्थिति में जब बांध ओवरफ्लो हो रहे थे तो क्यों नहीं पानी को पहले से ही कम कम मात्रा में नदी में छोड़ा गया। एक साथ पानी को छोड़ कर के तबाही मचाई गई है। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्यवाही की जाए और सरकारों के मंत्रियों को भी अपना उत्तरदायित्व स्वीकारना चाहिए। यह प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में मध्यप्रदेश किसानसभा के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक तिवारी ने कही है। उन्होंने कहा है कि यह एक तरह से कृत्रिम बाढ़ है। कैसे भी चंबल के बीहड़ की जमीन को खाली कराना है। चाहे वह अटल प्रोग्रेस वे के नाम पर कराई जाए या चंबल अभ्यारण के नाम पर कराई जाए या फिर कृत्रिम रूप से बाढ़ के जरिए कराई जाए। मुख्य मकसद चंबल की जमीन को खाली कराकर कॉरपोरेट को सौंपने के अलावा कुछ नहीं है। खुद माननीय मुख्यमंत्री ने चंबल के रह वासियों से बाहर कॉलोनी बनाकर देने के लिए, अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा है। इससे सरकार की बीहड खाली कराने की मंशा पूरी तरह स्पष्ट झलकती है। किसान नेता अशोक तिवारी ने बाढ़ पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था करने की मांग की है। साथ ही किसानों की जो फसल नष्ट हुई है। उसका समग्र सर्वे व मूल्यांकन करा कर किसानों को सरकार की तरफ से पर्याप्त राहत देने की भी मांग भी की है।
इसके अलावा बाढ़ के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की मांग दोहराई है।

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