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मिशन-2023 के लिए पोहरी में भाजपा के लिए कौन उपयुक्त ?

पोहरी : गुजरात विधानसभा चुनाव जीतकर भारतीय जनता पार्टी ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, भाजपा लगातार सातवीं बार जीतकर वाम दल से एक कदम पीछे है हालांकि भाजपा ने गुजरात में अब तक के सारे रेकॉर्ड्स को ध्वस्त कर इतनी बड़ी जीत हासिल की है कि कांग्रेस को विपक्ष का पद मिलना भी मुश्किल है । चुनाव के एक साल पहले मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल की सर्जरी कर भाजपा ने एंटी इनकंबेंसी को भी मात दे दी और अब यही फॉर्मूला भाजपा मध्यप्रदेश में अपना सकती है, भाजपा मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बदले या न बदले लेकिन मंत्रिमंडल से कई चेहरों को बाहर का रास्ता दिखा सकती है । पार्टी मध्यप्रदेश में करीब 50 विधायकों के टिकिट भी काट सकती है साथ ही 70-75 की उम्र वालों को भी आराम करने की सलाह दे भी सकती है, इसके अलावा वंशवाद के आरोपों से बचने के लिए नेता पुत्रों या उनके परिजनों में उन्हीं को महत्व दिया जाएगा जो जिताऊ होगा ।

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गुजरात मॉडल लागू तो पोहरी में कौन ?

पोहरी के वर्तमान विधायक 2018 में पहली बार कांग्रेस के टिकिट पर कुछ हजारों वोट के अंतर पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुँचे थे, लेकिन 2020 के सत्ता के उलटफेर में अपने राजनैतिक आका ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपाई हो गए और उपचुनाव से पहले शिवराज सरकार में पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री भी बन गए । उपचुनाव में भाजपा के टिकिट पर 2018 की तुलना में जीत का अंतर बढ़ाकर एक बार फिर विधानसभा पहुँचे । सूत्रों के मुताबिक पार्टी के आंतरिक सर्वे राज्यमंत्री सुरेश राठखेड़ा के पक्ष में नही है, सुरेश धाकड़ के लिए एंटी इनकंबेंसी घातक साबित हो रहा है, इतना ही नहीं पार्टी के सर्वे के अनुसार वोटर भी अब सुरेश धाकड़ के पक्ष में दिखाई नहीं देता है और भाजपा सत्ता वापिसी के लिए किसी भी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहती है नतीजन सुरेश धाकड़ के टिकिट पर भी कैंची चल जाये तो अचंभे की बात नहीं होगी । राज्यमंत्री होते हुए सुरेश धाकड़ भले ही आए दिन विकास कार्यों के भूमिपूजन कर रहे हों लेकिन पोहरी की बहुप्रतीक्षित परियोजना सरकुला को मूर्त रूप नहीं दे पाए,हालांकि खुद राज्यमंत्री मंच से घोषणा कर चुके हैं कि यदि सरकुला नहीं बना तो वे चुनाव नहीं लड़ेंगे,अब ये उनका वादा था या फिर चुनावी जुमला वक़्त बताएगा, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक को टिकिट दिलाने की पूरी कोशिश करेंगे ।

अब यदि पार्टी ने गुजरात फॉर्मूला अपनाया और सुरेश धाकड़ के टिकिट पर कैचीं चली तो अन्य दावेदारों में सबसे ऊपर नाम पूर्व विधायक और वर्तमान राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त प्रहलाद भारती का नाम बताया जा रहा है, हालांकि पार्टी ने भारती को राज्यमंत्री दर्जा देकर संकेत दे दिए हैं क्योंकि 2018 में भारती तीसरे नम्बर पर रहे वो भी जब कि उनको पोहरी में विकास का भगीरथ कहा जाता था, पूर्व विधायक नरेंद्र बिरथरे भी एक बार फिर टिकिट की चाह रखते हैं । बिरथरे भाजपा के टिकिट पर अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे और तब से अब तक पार्टी ने उन्हें फिर कभी मौका नहीं दिया । पोहरी का चुनाव जातिगत आधार पर होता है नतीजन यहाँ टिकिट भी जातिगत आधार पर तय होता है, यही कारण है कि अब तक सिर्फ धाकड़ और ब्राह्मण समुदाय से ही विधायक बने इसलिए भाजपा भी धाकड़ बहुलता देखकर इसी समुदाय के व्यक्ति को टिकिट दे सकती है, इन सभी समीकरणों पर समाजसेविका डॉ सलोनी सिंह धाकड़ उपयुक्त उम्मीदवार हो सकती हैं, डॉ धाकड़ करीब दो दशक से भी अधिक समय से क्षेत्र में सक्रिय हैं और गुटबाजी की राजनीति से दूर है, डॉ धाकड़ सभी जातियों में सर्वप्रिय चेहरा है साथ ही निर्विवाद भी हैं । पार्टी गुजरात फॉर्मूला अपनाएगी और पोहरी के टिकिट की भी सर्जरी हुई तो महिला उम्मीदवार के तौर पर डॉ सलोनी सिंह धाकड़ उपयुक्त चेहरा हो सकती हैं क्योंकि डॉ धाकड़ को न केवल केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का करीबी माना जाता है बल्कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी करीबी किसी से छुपी नहीं है । साथ ही पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा से भी उस समय से बेहतरीन जान पहचान है जब वे न तो सांसद थे और न ही पार्टी अध्यक्ष, अपने नए प्रतिष्ठान के भूमिपूजन में पार्टी के सभी बड़े नेताओं को एक मंच पर बिठाकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अब डॉ सलोनी सिंह धाकड़ के नाम से अनजान नहीं है, लिहाजा 2023 में पार्टी डॉ सलोनी सिंह धाकड़ को पोहरी विधानसभा क्षेत्र से मौका दे सकती है।

Chief Editor JKA

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