आखिर ग्वालियर का विकास क्यों उपेक्षित

ग्वालियर : केंद्र और राज्य सरकार ने तमाम ऐसी योजनाऐं बनाई है जिनके माध्यम से गाँव शहर का विकास हो सके, मध्यप्रदेश सरकार विकसित मध्यप्रदेश का सपना देखे हुए है और इसके लिए प्रयासरत भी है, बड़े शहरों को स्मार्ट सिटी योजना के माध्यम से संभारने के लिए भी प्रयासरत है, इस योजना में ग्वालियर शहर भी शामिल है लेकिन ग्वालियर शहर आज भी अपनी बदहाली के ऑंसू रो रहा है लेकिन ऐसा कोई जनप्रतिनिधि नहीं है शहर की पीड़ा को समझ सके । ऐसा नहीं है कि ग्वालियर का राजनीति में फिर चाहे सत्ता पक्ष या विपक्ष, में हिस्सेदारी नहीं है, ग्वालियर का राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार में हमेशा ही दबदबा कायम रहा है बावजूद इसके कि सरकार किसी की भी हो । वर्तमान में केंद्र सरकार में ग्रामीण विकास मंत्रालय का जिम्मा संभाले हुए नरेंद्र सिंह तोमर मोदी सरकार की किचिन कैबिनेट का हिस्सा माने जाते हैं और दूसरे नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी ग्वालियर से ताल्लुक रखते हैं, इसके अलावा सूबे की सरकार में प्रद्युम्न सिंह तोमर कैबिनेट मंत्री तो भारत सिंह कुशवाह राज्यमंत्री का जिम्मा संभाल रहे हैं लेकिन शहर के विकास के लिए कौन कितना प्रयासरत है, यह जनता से छुपा नहीं है, हालांकि ग्वालियर सांसद जो महापौर रहते विकास नहीं कर पाए अब सांसद रहते ग्वालियर के विकास के लिए पत्र लिखते रहते हैं ।
ग्वालियर शहर मुख्यतः सीवर,पानी की समस्या इस कदर जूझ रहा है कि तिघरा से मिलने वाला पानी पीने लायक तो छोड़िए देखने लायक भी नहीं रहता है, टूटी फूटी सड़कें अपनी दुर्दशा के आँसू बहा रही हैं, सड़क में गड्ढे हैं या फिर गड्ढों में सड़क इसका अन्दाजा लगा पाना मुश्किल है । तमाम कोशिशों के बाद शहर स्वच्छता की दौड़ में शामिल नहीं हो पाया,अक्सर निगम सफाईकर्मियों को हड़ताल पर जाते देखा जाता है, इन सबका कारण है ब्यूरोक्रेसी का हावी होना । ग्वालियर की दो योजना लंबे अर्से से लंबित है पहली चम्बल से पानी लाना और दूसरी किले के लिए रोपवे का निर्माण, विकास कार्यों के लिए भाजपा कांग्रेस को तो कांग्रेस भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए राजनीति की नूराकुश्ती खेल रहे हैं । शासन का ग्वालियर के प्रति विकास के लिए प्रतिबद्धता इसी बात से जाहिर होती है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट जो करोङो रुपए का बजट होने के बाबजूद धरातल पर विकास कार्य दिखाई नहीं दे रहे , स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट बजट को पानी की तरह बहाने के बाद भी आज शहर खुदा पड़ा है, अंचल से प्रदेश सरकार में गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा हैं, बाबजूद लॉ एंड आर्डर पूरी तरह चरमरा रहा है, आए दिन अपराध का ग्राफ ग्वालियर में आसमान छूने को आतुर है, और यही कारण है कि ग्वालियर का विकास तो उपेक्षित है ही साथ ही कानून व्यवस्था भी घुटने टेक रही है । विपक्ष निष्क्रिय है, कांग्रेस कई धड़ों में बंटी होने के कारण जनहित के मुद्दों को उठा नहीं पा रहे हैं, इक्का दुक्का बार ही आंदोलन की भूमिका में कांग्रेस दिखाई दी । ग्वालियर की सड़कों को लेकर शहर के हास्य कवि स्व.प्रदीप चौबे की पंक्तियाँ चरितार्थ होती हैं कि “देखना है ग़र ख़ुदा तो आओ मेरे शहर, हर जगह खुदा ही खुदा है ।”

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