PLACE-YOUR-ADVERT-HERE
add-banner
IMG-20231202-WA0031
IMG_20220718_112253
IMG-20250516-WA0020
IMG-20250516-WA0017
ब्रेकिंग न्यूज़मध्य प्रदेशराजनीतिराज्य

मध्‍य प्रदेश भाजपा में असंतोष की लहरें बनीं चुनौती, रोकने में देरी बिखेर न दे उम्मीदें

भोपाल। चुनावों की आहट के साथ दल-बदल सामान्य राजनीतिक लक्षण हैं, लेकिन दिग्गजों का पाला बदलना हमेशा खास मायने रखता है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र व पूर्व मंत्री दीपक जोशी के कांग्रेस में शामिल होने से भाजपा में असंतोष की चर्चाएं अब सतह पर आने लगी हैं।

No Slide Found In Slider.

माना जा रहा है कि संगठन और सत्ता की कार्यकर्ताओं से संवादहीनता का दायरा वरिष्ठ नेताओं तक फैल चुका है। नतीजा ये है कि भाजपा के अस्तित्व से जुड़े दिग्गजों की राजनीतिक विरासत सम्हालने वाले भी पार्टी से किनारा कर रहे हैं।

ऐसे में उन असंतुष्टों की भी आवाज मुखर होने लगी है, जो अब तक इंतजार की मुद्रा में थे, वे भी पार्टी के आंतरिक फोरम में दबी जुबान असंतोष की चर्चाओं को हवा दे रहे हैं। पार्टी सूत्रों का मानना है कि असंतोष की उठती लहरों को अभी कमजोर नहीं किया गया, तो यही चुनौती आने वाले समय में मुसीबत बन जाएगी।

कांग्रेस और भाजपा के दावों पर नजर डालें तो आने वाला समय भारी दल-बदल का दिखाई देता है। हालांकि इन दावों की हकीकत समय ही बताएगा, लेकिन भाजपा में अंदरूनी तौर पर जो चर्चाएं जारी हैं, उनमें खासे असंतोष को महसूस किया जा रहा है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए विधायकों और समर्थकों को लेकर स्थानीय नेताओं में असंतोष है दीपक जोशी के भाजपा छोड़ने की एक वजह सिंधिया समर्थक को हाटपिपल्या विधानसभा क्षेत्र में मौका देना भी है। आरोप है कि भाजपा में कोई ऐसा नेता नहीं है, जिसकी बात असंतुष्ट कार्यकर्ता सुनें और भाजपा छोड़ने के फैसले में बदलाव हो सके।

PicsArt_10-26-02.06.05

इसकी झलक पार्टी ने दीपक जोशी सहित अन्य उन नेताओं के मामले में देखी है, जो कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। दूसरी दिक्‍कत उन विधानसभा क्षेत्रों में है, जहां कांग्रेस कार्यकर्ता बड़ी संख्या में भाजपा में शामिल हुए हैं। इन क्षेत्रों में नई और पुरानी दो तरह की भाजपा अस्तित्व में मानी जा रही है। इसकी सबसे बड़ी मुश्किल है कि पूरी भाजपा में ही समन्वय का ऐसा संकट खड़ा हो गया है, जिसे सुलझा पाना पार्टी नेताओं के लिए मुश्किल हो गया है।

भाजपा की 127 सीटों में से 18 ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस से इस्तीफ़ा देकर आए विधायक काबिज़ हैं। नौ सीटें वो हैं जिन पर कांग्रेस से आए नेता उपचुनाव हारने के बाद फिर टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। इन सभी सीटों पर भाजपा के सामने आंतरिक असंतोष को साधना एक बड़ी चुनौती बन गई है।

भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं को आशंका है कि इन सीटों पर चुनाव में एक बार फिर सिंधिया समर्थकों को टिकट दिया गया, तो पुराने नेताओं का राजनीतिक भविष्य संकट में पड़ सकता है। इन हालातों में आने वाले दिन भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, क्योंकि कई ऐसे नेताओं के नाम सामने आने लगे हैं, जो कांग्रेस के संपर्क में बताए जा रहे हैं।

 

इनका कहना है

भारतीय जनता पार्टी आज भी कार्यकर्ता आधारित और अपने संस्कारों के साथ ही चलने वाला जन संगठन है। यदि कुछ प्रकरण आते हैं तो भाजपा परिवार भावना से समाधान सहज रूप से कर लेती है।

रजनीश अग्रवाल, प्रदेश मंत्री भाजपा मप्र।

Chief Editor JKA

FB_IMG_1657898474749
IMG-20250308-WA0007

Related Articles

Back to top button