सत्ता के महासंग्राम में ग्वालियर में किसके सिर बंधेगा जीत का सेहरा
4 जून को आएंगे नतीजे, भाजपा और कांग्रेस के बीच है कड़ी टक्कर..

ग्वालियर मध्य प्रदेश की उन चुनिंदा सीटों में से एक है, जहां 2019 के मुकाबले ज्यादा वोटिंग हुई है। इस बार भाजपा ने सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का टिकट काटकर भारत सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। उनके सामने कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक को उम्मीदवार बनाया है। इससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है। इस बार दोनों प्रमुख पार्टियों को मिलाकर 19 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। ग्वालियर में तीसरे चरण में सात मई को मतदान हुआ था। इस बार 62.13 प्रतिशत वोटिंग हुई, जो 2019 के 59.78 प्रतिशत के मुकाबले करीब ढाई प्रतिशत अधिक है। 2014 में इस सीट पर 52.73 प्रतिशत वोटिंग ही हुई थी। ग्वालियर में 2004, 2009, 2014 और 2019 में भाजपा को आसान जीत मिली लेकिन इस बार मुकाबला कड़ा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा सीट की आठ में से चार-चार सीटें भाजपा और कांग्रेस की झोली में गिरी थी। भाजपा शुरुआत से सीट को मुश्किल मान रही थी। इसी वजह से चेहरा बदला गया। लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार में भाजपा और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंकी है। हालांकि, कांग्रेस प्रत्याशी को प्रचार के लिए कम समय मिला। प्रचार की कमान प्रदेश स्तरीय नेताओं के हाथ में ही रही। ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत रही कांग्रेस ने इस बार फोकस शहर और शहर में मजबूत रहने वाली भाजपा ने ग्रामीण पर ध्यान लगाया है। मौजूदा समय में 8 विधानसभा सीटों में से दोनों दलों के चार-चार विधायक हैं।भाजपा ने ग्वालियर सीट से भारत सिंह कुशवाह को उम्मीदवार बनाया है, जिन्हें विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़े कुशवाहा के सामने कांग्रेस ने विधायक प्रवीण पाठक के तौर पर कड़ी चुनौती पेश की है।
सिंधिया घराने के ईर्द-गिर्द रही है राजनीति
ग्वालियर की राजनीति पर महल यानी सिंधिया राजघराने का बड़ा प्रभाव रहा है। शिवपुरी जिले का कुछ हिस्सा भी ग्वालियर लोकसभा सीट में आता है। माधवराव सिंधिया खुद भी ग्वालियर से सांसद रहे हैं। उनकी बहन और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे भी यहां से सांसद रही हैं। माधवराव सिंधिया खुद 1984 से 1998 तक इस सीट पर सांसद रहे हैं। 2007 के उपचुनाव में यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव लड़ा और 2009 के चुनाव में भी जीत हासिल की। 2014 में नरेंद्र सिंह तोमर और 2019 में विवेक नारायण शेजवालकर ने भाजपा की झोली में यह सीट डाली थी।

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