विजयपुर उपचुनाव : कांग्रेस की नामांकन रैली में उमड़ा जनसैलाब, क्या होगा हार जीत का गणित
कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व एकजुट होकर पहुंचा विजयपुर, कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा ने दाखिल किया नामांकन

विजयपुर : 24 अक्टूबर को भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रामनिवास रावत ने पूरे दमखम के साथ अपना नामांकन दाखिल कर दिया तो एक दिन बाद आज 25 अक्टूबर को कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा ने भी अपना नामांकन दाखिल किया । कांग्रेस प्रत्याशी को नामांकन दाखिल करने के लिए मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सभी बड़े नेता उपस्थित रहे , नामांकन रैली में उमड़ा जन सैलाब ने विजयपुर की जनता के गुणा भाग को बिगाड़ दिया है, जो लोग अभी तक हार जीत के गणित तय कर रहे थे उनका गणित आज बिगड़ा हुआ दिखाई दिया, क्योंकि कांग्रेस की नामांकन रैली में सड़कों पर उमड़े जनसैलाब ने बता दिया कि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रामनिवास रावत की राह इतनी आसान नहीं है ।
बात विजयपुर विधानसभा की की जाए तो यह कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है तभी तो आज कांग्रेस के तमाम नेता सोशल मीडिया पर लिखते हुए नजर आए कि पंजा चुना था पंजा चुनेंगे क्योंकि बीते चुनावों पर गौर किया जाए तो खुद रामनिवास रावत आठ चुनाव लड़े जिनमें से छह बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने हैं, लेकिन बीते दिनों लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पार्टी बदलकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया तो मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने उन्हें वन मंत्री से नवाज दिया गया है । अब चूंकि 13 नवंबर को उपचुनाव में मतदान होना है और प्रदेश में सत्ता में भारतीय जनता पार्टी काबिज है ऐसे में सरकार और संगठन दोनों ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रामनिवास रावत को जिताने के लिए पुरजोर लगाएगी , लेकिन दूसरी तरफ वहीं कांग्रेस के पास संगठन की कमी है कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा के पास जन समर्थन साफ तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि जिस प्रकार से सड़कों पर उमरा जन सैलाब दिखाई दिया उससे एक बात तो साफ है कि मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है । मुकेश मल्होत्रा पूर्व में भाजपा में राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त रहे उसके बाद बीते विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़े थे और 34000 वोट प्राप्त कर चौथे स्थान पर रहे, यदि बसपा और मुकेश मल्होत्रा के वोट बैंक को जोड़ा जाए तो कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी दोनों से ही आगे निकल चुका था । अब उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी चुनावी मैदान में नहीं है इसीलिए राजनीतिक पंडितों का गणित बिगड़ रहा है और कोई भी साफ तौर पर जीत का ऊंट किस करवट बैठेगा यह बताने को तैयार नहीं है ।

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