सिंधिया की डूबती नैया को भाजपा ने कराई वैतरणी पार

2018 के विधानसभा आम चुनाव के पहले कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव अभियान समिति का चेयरमैन बनाकर उनके मन में मध्यप्रदेश का मुखिया बनने का सपना तो पाल दिया लेकिन 2018 में 15 वर्ष का वनवास पूरा कर सत्ता में लौटी कांग्रेस ने सिंधिया को दरकिनार कर कमलनाथ को सूबे का मुख्यमंत्री बना दिया । अतिथि शिक्षकों और बेरोजगारों की आवाज बुलंद करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया 2019 में अपने ही कार्यकर्ता से चुनाव हारकर बेरोजगार हो गए, अपने समर्थकों के जरिए ही सही सिंधिया के अरमान मध्यप्रदेश की राजनीति में जगह पाने के जाग्रत हो गए, मुख्यमंत्री का पद हाथ से जाने के बाद सिंधिया पीसीसी चीफ का पद पाना चाहते थे लेकिन कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी के चलते सिंधिया अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पा रहे थे, इसके बाद मध्यप्रदेश की राजनीति में किस तरह और कैसे सत्ता परिवर्तन हुआ ये जगजाहिर है ।
कांग्रेस में हाशिए पर चल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीतिक नैया पूरी तरह से डूबने की कगार पर थी, सिंधिया ने प्रदेश की जनता के लिए नहीं बल्कि अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिंधिया को राज्यसभा भेजकर उनकी डूबती नैया को वैतरणी पार कराने का काम किया, भाजपा की रीति और नीति को स्वीकारने के बाद सिंधिया भाजपा में महाराज नहीं बल्कि एक सामान्य कार्यकर्ता बनकर कार्य करने लगे, इसके बाद मोदी कैबिनेट में जगह पाने के बाद सिंधिया लगातार सक्रिय भूमिका में है, भारतीय जनता पार्टी के द्वारा उनके समाप्त होते राजनीतिक कैरियर को भाजपा ने जीवनदान तो दे दिया लेकिन सवाल यह है कि उनके आसपास समर्थकों का हुजूम मूल भाजपाई न होकर सिंधियाई नेताओं का अधिक रहता है, ऐसे में कांग्रेसी विचारधारा वाले सिंधियाई नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में उनके कद को बढ़ाने में मदद करेंगे या फिर यहाँ भी उनकी राजनीति को ग्रहण लगेगा । सिंधिया ने भले ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश में स्थापित करने में मदद करके किंग मेकर की भूमिका अदा की हो लेकिन सच तो ये है कि सिंधिया के कैरियर को संभारने में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी भूमिका अदा की है । कांग्रेस में ख़फ़ा और खाली बैठे सिंधिया को भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी,अमित शाह और शिवराज सिंह ने अपनाकर एक बार फिर उनके राजनीतिक भविष्य को संभारने का काम किया है नहीं तो कमलनाथ को सड़क पर लाने और जनता के हित की लड़ाई लड़ने के लिए खुद को सड़क पर उतरने की बात करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया सड़क पर ही होते ।

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