अपर ककैटो परियोजना के बनने से एक दर्जन गांवों का संपर्क टूटा

बड़ी खबर : अपर ककैटो परियोजना के बनने से सहसराम सहित उसके आसपास के करीब एक दर्जन से अधिक गाँव कैद होकर रह गए हैं, डैम के बनने से विजयपुर से ग्वालियर और कैलारस से सहसराम होते हुए शिवपुरी और ग्वालियर की ओर जाने वाली सड़क डैम के डूब क्षेत्र में चली गई । लोगों के आवागमन के लिए सरकार ने करीब 15 किलोमीटर से अधिक दूरी का फेर देकर सड़क को मोहना – पोहरी सड़क मार्ग से जोड़कर इतिश्री कर ली । सहसराम की ओर से आने वाले ग्रामीणों के लिए नवीन मार्ग से होते हुए ग्वालियर जाना ब्रह्मांड की परिक्रमा से कम नही है, किसी गंभीर मरीज को अस्पताल तक पहुंचने से पहले ही लाचारी और मजबूरी के चलते कष्ट सहने पड़े तो सरकार को क्या, सरकार ने तो सड़क बनाकर दी है । सहसराम से आने वाले लोग अपर ककैटो डैम के नीचे बनी कच्ची उबड़ खाबड़ रोड़ से निकलते थे लेकिन इसी साल आई बाढ़ ने डैम के नीचे बने रपटा सहित कच्ची सड़क को भी बहा दिया । ग्रामीणों सहित तमाम बस वालों ने महंगे डीजल को बचाने के लिए सड़क जैसे तैसे सड़क को निकलने लायक बना लिया लेकिन हर रोज जान जोखिम में डालकर बस को निकालना किसी बड़ी अनहोनी की आशंका को व्यक्त करता है । ऐसा नहीं कि सरकार और उसके नुमाइंदों को इसकी जनकारी नहीं हो, अंचल के लोगों ने शिवराज सरकार के पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री को अवगत कराया तो विजयपुर विधायक ने क्षेत्रीय सांसद और मोदी सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री को, लेकिन किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं है ।
आपको बता दें कि शिवपुरी, श्योपुर और ग्वालियर जिले की सीमा पर बने अपर ककैटो परियोजना बनकर तैयार हो गई और बीते तीन साल से बारिश में लबालब भर भी रहा है, उक्त डैम पार्वती नदी पर ककैटो डैम के ऊपर बूड़दा गाँव पर बना है । अपर ककैटो बनने से करीब 8 गांवों को विस्थापित किया गया था और विस्थापित लोगों में कुछ लोग डूब क्षेत्र की अपनी कृषि भूमि और आवासीय क्षेत्र के मुआवजे की गुहार सरकार से लगा रहे हैं लेकिन शासन और प्रशासन अंधी और बहरी बनकर कुम्भकर्णी नींद में सो रही है ।
रोज गुजरते हैं सैकड़ों वाहन
अपर ककैटो डैम के नीचे उबड़ खाबड़ सड़क और जीर्ण शीर्ण हालात में पड़े रपटे से प्रतिदिन भारी वाहन,यात्री बस और सब्जियों से भरी गाड़ियों सहित सैकड़ों दो पहिया वाहन निकलते हैं । ग्वालियर से कैलारस, ग्वालियर से विजयपुर और कैलारस से शिवपुरी की ओर चलने वाली दर्जनों यात्री बस यात्रियों की जान जोखिम में डालकर यहाँ से निकलती हैं, जिस ओर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है जबकि प्रदेश सहित अंचल में कई बड़े हादसे हो चुके हैं ।

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