सफलता का श्रेय तो असफलता की जिम्मेदारी लेना सीखे सरकार

यह सच है कि देश – प्रदेश में विकास कार्यों के साथ ही नागरिकों की समस्याओं का समाधान करना और प्रशासन का प्रबंधन भी शासन का ही काम है । किसी भी क्षेत्र में आम नागरिकों की कुशलता, जागरूकता और प्रशासन के कुशल नेतृत्व में हम कुछ अच्छा कर तो लेते हैं लेकिन श्रेय सरकार और सरकार के खादीधारी लोग लेते हैं ऐसा क्यों ?
अभी हाल ही में स्वच्छता सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश का मिनी बॉम्बे यानी हमारे इंदौर शहर ने स्वच्छता का पंच मारा है, यानी इंदौर शहर स्वच्छता में पांचवीं बार देश में स्वच्छ शहरों की श्रेणी में प्रथम आया था । मुझे लगता है कि ये जो हो पाया है वो इंदौर के रहवासियों और वहाँ के प्रशासन के कुशल प्रशासक क्षमता, प्रबंधन का ही नतीजा है तो जब माननीय राष्ट्रपति महोदय द्वारा पुरुस्कार दिया गया तो पुरुस्कार जिले में बैठे कलेक्टर या नगर निगम कमिश्नर या फिर सम्भागयुक्त के हाथों में देकर उनका हौसलाफजाई करना चाहिए था । हम सब गौरान्वित है कि मध्यप्रदेश के शहर इंदौर ने सब कर दिखाया, सरकार के मंत्री ने पुरुस्कार ग्रहण किया ,सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है लेकिन जो शहर स्वच्छता में पूर्व की तुलना में पीछे के पायदान पर खिसक गए उन शहरों की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए और वहाँ के प्रशासन को दुरस्त कर सफलता के प्रयास करने चाहिए न कि जीत पर श्रेय लेकर असफलता पर चुप्पी साध लेना चाहिए।

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