PLACE-YOUR-ADVERT-HERE
add-banner
IMG-20231202-WA0031
IMG_20220718_112253
IMG-20250516-WA0020
IMG-20250516-WA0017
ग्वालियरताजा ख़बरेंदिल्लीदेशब्रेकिंग न्यूज़मध्य प्रदेशराजनीतिराज्य

अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने……, लक्ष्मीबाई की समाधि पर किया नमन

( इंजी. वीरबल सिंह )
” अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी ।
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी ।।”
ये पंक्तियां पढ़कर हम इतने बड़े हो गए लेकिन अब बीते दिनों एक तस्वीर ने राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों को चौंका दिया तो मीडिया की हेडलाइन भनक5सुर्खियां बटोर ली ।
देश और प्रदेश में राजनीति बदल रही है और इस बदलती राजनीति के साथ कोई बदल रहा है तो वो है केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया । ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब से कांग्रेस को अलविदा कहकर भारतीय जनता पार्टी का भगवा दुपट्टा गले मे डाला है तब से हर कोई उनके बदलाव का मुरीद हो गया है, सिंधिया ने केवल दल ही नहीं बदला है बल्कि दिल भी बदल लिया है । भारतीय जनता पार्टी के वे तमाम बड़े नेता जिनकी राजनीति का जन्म ही महल विरोध की सनातनी परंपरा से हुआ , जो राजनीतिक मंचों से सिंधिया को कोसने के लिए माइक हाथ में पकड़ते तो बस बोलते ही जाते वो भी बिना रुके ,अब वे ही नेता सार्वजनिक मंचों के सामने सिंधिया के आगे हाथ बांधे खड़े दिखाई देते हैं । सिंधिया परिवार में रियासत के समय किंग हुआ करते थे लेकिन वर्तमान राजनीति में सिंधिया परिवार का मुखिया सूबे में किंग मेकर है । सिंधिया के ही रहमोकरम पर भारतीय जनता पार्टी और उनके नेता शिवराज सिंह चौहान चौथी बार सत्ता का सुख मध्यप्रदेश में भोग रहे हैं ।
सिंधिया कांग्रेस में थे तब भी प्रासंगिक थे और अब जबकि भाजपा में हैं तब भी प्रासंगिक हैं, तब भाजपा के निशाने पर थे और अब कांग्रेस के निशाने पर, एक चीज और हैं जो सिंधिया के दल और दिल बदलने के बाद भी धरातल पर नहीं बदली है और वो है सिंधिया की फैन फॉलोइंग, भाजपा में भी सिंधिया को पसंद करने वाले थे यह बात अब साबित हो रही है । भाग्य को दोष देने वालों के लिए कहा जाता है कि “खुदी को कर इतना बुलंद कि हर तकदीर से पहले ख़ुदा बंदे से पूछे बोल तेरी रज़ा क्या” । और इस कहावत को चरितार्थ किया है खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ।
सिंधिया ने भाजपा का झंडा थाम कर हर समय मीडिया जगत और राजनैतिक पंडितों को चौंकाया ही है पहले भाजपा के पितृ संगठन आर एस एस के नागपुर दफ्तर की सीढ़ियां चढ़कर और उसके बाद हाल ही में ग्वालियर में महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर पहुँचकर नतमस्तक होकर । ऐसा नहीं है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कोई पहली बार ग्वालियर आए हों या फिर पहली बार ही समाधि स्थल के सामने से गुजरे हों, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है लेकिन झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर सिंधिया परिवार के मुखिया को नतमस्तक पहली बार ही देखा था । सिंधिया के इस रूप को देखकर हर कोई हतप्रभ है, राजनीतिक जनकारों के लिए ये शोध के विषय से कम नहीं है तो मीडिया के लिए अखबार और चैनल की हेडलाइन लेकिन बुद्धिजीवियों का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति अपने पुरखों पर लगे दागों को धोने की कोशिश कर रहा है या बदलती राजनीति के अनुसार खुद को बदल रहा है तो इसमें हर्ज क्या है ? ज्योतिरादित्य सिंधिया को वर्तमान में भाजपा भी खूब तवज्जों दे रही है लेकिन पता नहीं मजबूती के लिए या फिर मजबूरी में । सिंधिया के साथ आई फौज को सत्ता और संगठन में यथोचित स्थान दिलाकर हर किसी का कर्ज भी उतार दिया और खुद का भविष्य भी सुरक्षित कर लिया, और सबसे बड़ी बात उनके दिल मे कसक छोड़ दी जो सिंधिया के साथ आने की इच्छा रखते हुए भी नहीं आए उनके पास अब पछताने के सिवाय कुछ बचा नहीं ।

No Slide Found In Slider.
Chief Editor JKA

FB_IMG_1657898474749
IMG-20250308-WA0007

Related Articles

Back to top button