प्रदेश में खाद की किल्लत, किसान परेशान

बोआई शुरू होने को है, लेकिन किसान खाद, यूरिया, डीएपी के लिए दर-दर भटकने को विवश हैं। सरकारी गोदाम से उन्हें बैरंग लौटाया जा रहा है। गोदाम में जो है भी उसका स्टॉक सीमित है जिसके चलते गोदाम संचालक थोड़ा-थोड़ा कर के ही दे पा रहे हैं जिससे किसानों परेशान हैं। हाल ये है कि किसानों को खेती छोड़ कर खाद के लिए सरकारी गोदामों का चक्कर काटना पड़ रहा है। उधर प्रशासन का दावा है कि सोसायटी और गोदामों में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है। यूरिया, पोटास, सुपर हैं तो लेकिन स्टॉक सीमति है, लिहाजा थोड़ा-थोड़ा ही वितरित किया जा सकता है। इससे किसानों में असंतोष रहा। नतीजा ये कि जिसे 20 बोरा खाद चाहिए उसे 10 बोरे से ही संतोष करना पड़ा। किसानों का कहना है कि रोज-रोज खाद के लिए ही दौड़ते रहेंगे तो बोआई कब करेंगे।
प्रदेश में डीएपी खाद की किल्लत विकराल हो गई है, क्योंकि सभी 3400 सहकारी संस्थाओं में इस समय खाद नहीं है। जिन 25 जिलों में अगले 20 दिन में रबी सीजन की फसलों गेहूं, चना, मसूर, सरसों की बुवाई होना है, वहां की सहकारी संस्थाएं भी खाली पड़ी हैं। अक्टूबर के शेष 5 दिन और नवंबर के 15 दिन किसान इन्हीं फसलों की बुवाई करेंगे, लेकिन खाद की किल्लत ने उसकी परेशानी बढ़ा दी है। इस महीने के बकाया 5 दिनों में केंद्र से 12 रैक यूरिया, 5 रैक डीएपी और 10 रैक एनपीके खाद के मिलना है, जबकि इस दरम्यान खाद के 50 रैक की जरूरत है।

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