महाराज के सिपाही राज्यमंत्री, राजे और साध्वी के चहेते राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त
◆ राजनीति में जिसके आका हैं उनको सब कुछ और जिनके आका नहीं उनको कुछ नहीं

मध्यप्रदेश अजब है तो यहाँ की राजनीति भी गजब है और यदि अजब-गजब के बीच कोई सजग है तो यहाँ के राजनेता । कहा जाता है कि राजनीति में गॉड फादर होना जरूरी है और यह साबित कर दिखाया मध्यप्रदेश की पोहरी विधानसभा क्षेत्र की राजनीति ने । यहाँ से वर्तमान विधायक शिवराज सरकार में पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री हैं और वो पहली विधायकी ( भाजपा में ) में ही, मंत्री जी खुद को महाराज का सेवक कहते हैं और क्षेत्रीय लोग कहते हैं कि सेवक पर महाराज की कृपा ही है कि सरपंच चुनाव हारने वाला व्यक्ति आज सूबे की सत्ता का हिस्सा है । एक और सौम्य ,सरल नेताजी हैं जिन्होंने सजातीय वोट बैंक की दम पर दो बार विधायकी कर ली और तीसरी बार महाराज के सेवक से मात खा गए, सेवक के यदि महाराज हैं तो इन नेताजी को उसी महल की राजे का विशेष आशीर्वाद प्राप्त है । सूत्र बताते हैं कि दूसरी बार टिकिट कटा तो उन्हीं राजे का आशीर्वाद रहा कि लड़कर टिकिट ले आईं । इन दो से अलग तीसरे पूर्व विधायक पंडित जी हैं, ये पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी जी के चहेते माने जाते हैं । तभी तो जब साध्वी ने कमल दल को अलविदा कह कर जनशक्ति बनाई तो पंडित जी भी साथ हो लिए,हालांकि पंडित की संगठन में मजबूत पकड़ मानी जाती है । तीनों के अपने – अपने राजनैतिक गॉड फादर हैं और इसी के चलते तीनों ही राज्यमंत्री हैं । एक सत्ता में है तो शेष दो निगम उपाध्यक्ष पद पर रहकर राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त है लेकिन सवाल फिर वहीं आता है कि जिसका गॉड फादर है क्या पद केवल उनके लिए ही है । जिन्होंने बिना गुटीय राजनीति के वर्षों पार्टी का झंडा और डंडा उठाया हो उसको क्या मिला, क्या ऐसे कार्यकर्ता सिर्फ पार्टी को अपने तन,मन,धन के पसीने से सींचते रहेंगे लेकिन कब तक ?

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