कहने को तीन मंत्री, सिस्टम फैल, नहीं लगा सके नाबालिग का सुराग

बैराड़ : धन्य है पोहरी विधानसभा क्षेत्र के राजनेता जिनके भाग्य में राजनीति का उत्कर्ष लिखा है और आज वे मंत्री हैं , उनसे भी ज्यादा भाग्यशाली है पोहरी की भोली भाली जनता,जिनको एक नहीं बल्कि तीन – तीन मंत्री मिले हैं । जिनमें से एक एक बार विधायक तो दो दो-दो बार विधायकी का सुख भोग रहे हैं और भोग चुके हैं । जनता से इनके वादे और कसमें सुख दुख में शामिल होने के थे, सुख में तो शामिल सब कोई हो जाता है लेकिन जब कोई आम आदमी दुःख में होता है तो वो अपने जनप्रतिनिधियों की सुध लेता है और जनप्रतिनिधियों को सत्ता की मलाई खाने से चिकनी हुई जिह्वा से सिर्फ अस्वाशन ही मिलते हैं । ये तीन – तीन राज्यमंत्री जनता के लिए नहीं बल्कि अपने विकास के लिए बने हैं और बने हैं राजनैतिक सौदेबाजी से, जितने नकारे जनप्रतिनिधि उनसे कहीं अधिक निकम्मा प्रशासन ।
दरअसल मामला बीते 10 जनवरी का है, बैराड़ तहसील के ग्राम गाजीगढ़ से प्रमोद पुत्र रमेश धाकड उम्र करीब 16 साल शौच के लिए घर से बाहर गया तो फिर वापिस नहीं लौटा । देर शाम तक प्रमोद के घर वापिस नहीं लौटने पर परिजनों ने आसपास और उसके मित्रों से पता लगाया लेकिन प्रमोद का कोई पता नहीं लगा । अपने माता पिता का इकलौता बेटा प्रमोद जब नहीं मिला तो परिजनों ने पुलिस को सूचना दी लेकिन करीब 20 दिन में पुलिस ने प्रमोद को लेकर कोई खबर परिजनों को नहीं दी । मामले को लेकर राज्यमंत्री सुरेश राठखेड़ा ने परिजनों से मुलाकात कर बेटे की तलाशी के आश्वासन दिया तो पुलिस अधिकारियों को प्रमोद की तलाश करने के दिशा निर्देश, लेकिन बावजूद इसके पुलिस प्रमोद की कोई खबर नहीं ला सकी । सोचिए ! अपने इकलौते चिराग के लिए माता पिता ने कितने मंदिरों की देहरी चढ़ी होंगी,कितने पत्थर पूजे होंगे और न जाने कितने नारियल मन्नत पूरी होने तक फोड़े होंगे लेकिन क्या इसी दिन के लिए । रो रो कर परिजनों का बुरा हाल है, रिश्तेदारों सहित ग्रामवासियों का कहना है कि यदि पुलिस सहयोग नहीं करती है तो थाने में बैठकर आंदोलन किया जाएगा । लेकिन सवाल फिर वही है कि क्या जनता अपना प्रतिनिधि इसलिए चुनती है कि नेताजी घनघनाती गाड़ियों से आएंगे,जुमले सुनाएंगे और माला पहनकर बातों के बताशे फोड़कर चले जायेंगे, क्या तीनों मंत्रियों की अपने प्रशासन पर इतनी भी पकड़ नहीं कि प्रमोद को लाकर पुलिस परिजनों के आँसू पोंछ सके और यदि इतने ही नकारे जनप्रतिनिधि और निकम्मा सिस्टम है तो धिक्कार है ऐसी व्यवस्था पर….।

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