भाजपा के लिए ब्रांडिंग का काम कर रहा है अन्न उत्सव

खबरनामा : प्रत्येक माह की 7 तारीख को मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार ने अन्न उत्सव कार्यक्रम मनाने का फैसला लिया था, कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के सभी गरीबों को 5 किलोग्राम गेंहूँ/चावल प्रति व्यक्ति मुफ्त में वितरित किया जाता है । योजना का उद्देश्य सबको राशन – सबको पोषण है, दरअसल मध्यप्रदेश सहित समूचा देश कोरोना महामारी की चपेट से अभी अभी पूरी तरह से बाहर निकल पाया है,फिर भी जनता के हित को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सितम्बर 2022 तक देश में मुफ्त राशन उपलब्ध कराने की घोषणा की है, और उसी योजना के माध्यम से प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम गेंहूँ/चावल मुफ्त उपलब्ध कराया गया ,हालांकि इससे पूर्व भी प्रदेश सरकार द्वारा गरीबों को एक रुपये प्रति किलो के हिसाब से राशन वितरित करती रही है, इतना ही नहीं कोरोना काल में भी प्रदेश सरकार ने पहली और दूसरी लहर में तीन – तीन माह का राशन जनता तक पहुंचाया था,अब तक कुल मिलाकर 20 माह से अधिक मुफ्त राशन वितरित किया गया है, आपको यह भी बताते चलें कि यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली से अलग राशन मिलता है । अब केंद्र सरकार इस निःशुल्क खाद्दान्न वितरण को सितम्बर 2022 तक बढ़ाया, सब कुछ ठीक होने के बाद भी एक सवाल तो ये है कि यदि अन्न उत्सव के माध्यम से केन्द्र सरकार सबको राशन – सबको पोषण उपलब्ध करा रही है तो जनता को सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस के माध्यम से मिलने वाला राशन कहाँ है, और यदि दोनों राशन अलग – अलग है तो फिर राशन की दुकानों पर आने से पहले ही पीडीएस का राशन कौन डकार रहा है ।
यदि कोरोना काल में सरकार पर राजस्व की कमी है और राशन वितरण की सुविधा पूर्व से ही सुचारू रूप से चल रही है तो फिर उत्सव के नाम पर सरकार का पैसा खर्च करने की आवश्यकता क्यों है, क्या ये फिजूल खर्ची नहीं है, या फिर गरीबों की गरीबी का उपहास उड़ाने की योजना है जिसे भारतीय जनता पार्टी के छोटे छोटे कार्यकर्ताओं से लेकर बड़े बड़े नेता राशन वितरण दुकान पर पहुंचकर सबको दिखा रहे हैं, या फिर वोट बैंक की राजनीति के लिए 2023 को ध्यान में रखकर भारतीय जनता पार्टी अपनी ब्रांडिंग करना चाहती है, ये आपदा में अवसर की राजनीति नहीं तो क्या है । राशन वितरण के पूर्व से ही हितग्राहियों द्वारा अपना थैला लाया जाना कोई उन पर बोझ नहीं था लेकिन सरकार ने सुविधा के नाम पर राशन अब थैले में उपलब्ध कराए जाने की सुविधा से न केवल जनता पर बोझ बढ़ाया है बल्कि उस पर अपने नेताओं की फ़ोटो छापकर अपनी पार्टी का प्रचार प्रसार कर आपदा में अवसर ढूंढ निकाला है, जानकारी के अनुसार उक्त थैले की कीमत ₹14 बताई जा रही है। और हकीकत यह है कि न तो ग्रामीण इलाकों में पीडीएस का राशन दिया जा रहा है और न ही अन्न उत्सव के अलावा किसी भी दिन थैला दिया जाता है जो कि एक बड़े घोटाले का रूप लेता जा रहा है । वास्तव में देखा जाए तो बड़े बड़े मंच सजाकर फूल मालाएँ पहनने के शौकीन नेता सरकार के पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं साथ ही अब मुफ्त की राशन योजना का फायदा बड़े बड़े माफिया उठा रहे हैं ।
उल्लेखनीय है कि 7 अप्रैल को भाजपा कार्यकर्ताओ के द्वारा प्रत्येक राशन दुकान पर राजनीतिक प्रचार प्रसार के लाभ के लिए गरीबों के साथ सेल्फी खींची गई। गरीबों को यह बताने का प्रयास किया गया कि उनकी पार्टी के द्वारा यह मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। जैसे सरकारी खजाना सरकार का नही भाजपा का हो। सरकारी आदेशो से राशन डीलर के द्वारा बैनर पोस्टर लगाये गए, भाजपा नेताओं ने गरीबों के साथ फोटो खींच कर सोशल मीडिया पर डाले, वितरित अनाज प्रधानमंत्री की फ़ोटो से युक्त थैलो में देने के आदेश पारित हुए । सुना तो यहां तक गया है कि राशन दुकानदार उपस्थित भाजपा कार्यकर्ताओं को चाय पानी नाश्ता की व्यवस्था करेगा, उनका रंगोली और फूल माला से स्वागत होगा। जो दुकानदार ऐसा नहीं करेगा उन पर कार्रवाई की जाएगी। ऐसे तुगलकी आदेशों का लाभ लेकर भाजपा के कार्यकर्ता पूरी तरीके से प्रोपेगेंडा की राजनीति करने में आगे रहें और अपने प्रचार प्रसार के लिए गरीब पीड़ित को भी मजाक बनाया । जिसकी कटु आलोचना सबने की हैं। यह सरकार का दायित्व हैं कि वह जनहित में कार्य करे, देश का नागरिक आपदाओं समस्याओं से ग्रस्त हैं ।
( लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं )

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