हसदेव अरण्य को बचाने मांग को लेकर किसान एकजुट होंगे।
हसदेव अरण्य (छत्तीसगढ़) की नीलामी नहीं की जाए। किसान सभा

कैलारस -देश भर से छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध हसदेव अरण्य को नीलाम नहीं किए जाने, बचाने की मांग को लेकर किसानों ने एकजुट होना शुरू किया है। किसान, केंद्र सरकार व छत्तीसगढ़ सरकार से मांग कर रहे हैं कि छत्तीसगढ़ के प्रमुख अरण्य हसदेव को अडानी कंपनी सहित कॉरपोरेट को नहीं सौंपा जाए। कोल ब्लॉक की खुदाई के नाम पर, इसकी जैव विविधता वह प्राकृतिक स्थिति को नष्ट नहीं किया जाए। यह हजारों एकड़ मैं फैला वृहद जंगल है। जिसमें बड़ी संख्या में अनुपलब्ध जीव जंतुओं की प्रजातियां भी पल रही हैं। इसमेें जैवविविधता आज भी बरकरार है। इस क्षेत्र के ग्रामों की ग्राम सभाओं ने भी कोई प्रस्ताव अरण्य की नीलामी के लिए पारित नहीं किए हैं। सभी ग्राम और उसके रहवासी इसका विरोध कर रहे हैं। क्षेत्र के आदिवासी और गरीब किसान हजारों की संख्या में इसे बचाने के लिए महीनो से आंदोलनरत हैं। आज 4 मई को देशभर में किसानों ने छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए नीलामी की कार्यवाही सरकारों से नहीं करने की मांग की है। इसी क्रम में किसानों ने अपने कार्य स्थलों पर सरकारों से मांग की है। मध्य प्रदेश किसान सभा की ओर से की गई कार्य वाहियों में वरिष्ठ किसान नेता गयाराम सिंह धाकड़, सियाराम सिंह, कन्हैया लाल, सुरेश चंद धाकड़ आदि ने देश भर के किसानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए, केंद्र व छत्तीसगढ़ सरकारों से अरण्य को बचाने की मांग की है। आगे आने वाले दिनों में देशभर में आंदोलन तेज किए जाएंगे। जिसका निर्णय अखिल भारतीय स्तर से लिया जाएगा। किसान नेताओं ने सरकारों से अरण्य (जंगल) को बचाने के लिए अपने निर्णयों पर पुनर्विचार की अपील की है।

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