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ताजा ख़बरेंब्रेकिंग न्यूज़मध्य प्रदेशशिवपुरी

माधव राष्ट्रीय उद्यान : खाली हो सकते हैं 123 राजस्व गाँव

राज्य और केंद्र सरकार द्वारा वन्यजीवों को बचाने के लिए या उनके संरक्षण के लिए कुछ क्षेत्रों को रिजर्व किया जा रहा हैं, ऐसा ही एक नेशनल पार्क मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित है माधव राष्ट्रीय उद्यान । माधव राष्ट्रीय उद्यान को लेकर अब खबरें हैं कि यहां टाइगर रिजर्व स्थापित किया जाएगा यानी कि अब माधव राष्ट्रीय उद्यान टाइगर रिजर्व के रूप में प्रस्तावित है । उक्त कार्यवाही के लिए मुख्य वन संरक्षक शिवपुरी की ओर से मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत शिवपुरी को एक पत्र जारी किया गया है जिसमें लिखा है कि माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाने हेतु प्रस्तावित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं की बैठक आयोजित किया जाना है ।

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पत्र में संचालक सिंह परियोजना शिवपुरी की ओर से लिखा गया है कि माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व के रूप में सूचित किया जाना प्रस्तावित है । उक्त कार्यवाही के लिए प्रस्तावित क्षेत्र के बफर जोन में आने वाले राजस्व ग्रामों में ग्राम सभा के माध्यम से सहमति ली जाना है , प्रस्तावित क्षेत्रों में आने वाले ग्रामों की सूची संलग्न की गई है जिसमें करीब 123 गांव शामिल है ।

जारी पत्र से यह साफ तौर पर जाहिर है कि यदि माधव राष्ट्रीय उद्यान टाइगर रिजर्व के रूप में प्रस्तावित है तो फिर इसकी प्रस्तावित सीमा में आने वाले करीब 123 राजस्व ग्रामों को विस्तारित किया जाएगा , क्योंकि बिना विस्थापन के इसका विस्तार संभव नहीं है यदि ऐसा हुआ तो एक बार फिर आम जनता को कष्ट झेलने पड़ सकते हैं क्योंकि पूर्व में जहां-जहां सरकार की ओर से ग्रामीणों को विस्थापित किया गया वहां – वहां ग्रामीणों को समुचित सुविधाएं मुहैया ना कराकर शासन और प्रशासन की ओर से टालमटोल किया जाता रहा है ।

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विस्थापितों का दर्द अपर ककेटो में अभी भी तैर रहा है

मध्य प्रदेश सरकार ने पार्वती नदी पर एक महत्वकांक्षी जल परियोजना अपर ककेटो डैम बनाकर जनहित के लिए समर्पित की थी, इस परियोजना में करीब 7 गांव जोकि शिवपुरी और श्योपुर जिले की सीमा में शामिल थे, को विस्थापित किया गया । सरकार ने जिस क्षेत्र का सर्वे किया था उससे कहीं अधिक क्षेत्र अब डूब क्षेत्र में शामिल है ग्रामीणों के द्वारा समय-समय पर अपनी दुख दर्द को शासन और प्रशासन को सुनाया और दिखाया गया लेकिन अंधे हो चुके प्रशासन और बहरे हो चुके शासन को ना तो उन ग्रामीणों का दुख दर्द सुनाई देता है और ना ही दिखाई देता है हां इतना जरूर है कि पानी के किनारे बसे ग्रामीणों को कई बार सांप बिच्छू घर में घुसकर डस लेते हैं जिससे कई गरीबों की जान चली गई और तो और उनका दर्द अपर ककेटो के लबालब भरे पानी की सतह पर साफ तौर पर दिखाई देता है अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक बार फिर माधव राष्ट्रीय उद्यान के बफर जोन में आने वाले करीब 123 राजस्व ग्रामों के ग्रामीणों पर दुख का पहाड़ गिर सकता है ।

Chief Editor JKA

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