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पोहरी में सिंधिया समर्थकों की कांग्रेस में घर वापिसी, 2023 में टिकिट की आशा..

पोहरी : 2020 में जिस रफ्तार से सिंधिया समर्थक नेताओं में कांग्रेस का हाथ झटककर गले में भाजपा का भगवा गमछा डालने की होड़ सी लगी थी उससे कहीं रफ्तार से अब भाजपा और सिंधिया को छोड़कर कांग्रेस में घर वापिसी हो रही है। भाजपा छोड़ने की वजह अपनी लगातार उपेक्षा बताया जा रहा है, तो दूसरी तरफ स्थानीय विधायक द्वारा तानाशाही भी बताया जा रहा है। 2020 में कांग्रेस छोड़ने वाले शिवपुरी जनपद के अध्यक्ष रहे पारम सिंह रावत कांग्रेस से बगावत कर उपचुनाव में पोहरी से चुनाव लड़े थे लेकिन बीते दिनों उनकी कांग्रेस में वापिसी हो चुकी है और उसके बाद दूसरा नाम पोहरी जनपद के उपाध्यक्ष और सिंधिया के खासमखास अरविंद धाकड़ चकराना ने भी काग्रेस में वापिसी कर ली है। सबसे बड़ी बात यह है कि पूर्व बसपा प्रत्याशी कैलाश कुशवाह सहित सभी वे नेता जो कांग्रेस का हाथ पकड़ रहे हैं अपने अपने टिकिट को लेकर आशस्वत हैं कि काग्रेस उन्हें ही उम्मीदवार बनाएगी ।

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शिवपुरी जिले की कोलारस से भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने भी भाजपा को अलविदा कह दिया, विदित हो कि पूर्व में रघुवंशी न केवल कांग्रेस से विधायक रहे बल्कि सिंधिया के बहुत खास लोगों में गिने जाते थे लेकिन बाद में उन्होंने भाजपा को ज्वाइन कर लिया था। राकेश सांवलदास गुप्ता को सिंधिया का बूथ मैनेजर माना जाता रहा है लेकिन उनका काग्रेस में वापिसी कर लेना सिंधिया के लिए बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। कोलारस शिवपुरी सहित ऐसे कई नाम है जो अपने आप में एक बड़ा जनाधार रखते हैं और भाजपा को अलविदा कह चुके हैं।लगातार हो रहे दल बदल के बाद राजनीतिक गलियारों में एक सवाल चर्चा बन गया है कि आखिर कार इतनी बड़ी संख्या में भाजपा को छोड़ने वाले लगातार अलविदा कह रहा है और जिला स्तर से लेकर प्रदेश तक संगठन डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास नहीं कर रहा है जबकि ये सब इस्तीफे सुनियोजित और पूर्व नियोजित हो रहे हैं। वहीं यह भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि भाजपा द्वारा वास्तव में उपेक्षा हो रही थी या फिर तमाम सिंधिया समर्थक नेताओं के आने से उक्त नेताओं को अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सता रही थी, अब देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी कब और किसे टिकिट देगी और किसे नाराज करेगी क्योंकि हर वो नेता जो भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो रहा है अपने टिकिट के प्रति आश्वस्त हैं।

Chief Editor JKA

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