ग्वालियर अंचल के मेडिकल कॉलेज बने भ्रष्टाचार का अड्डा

बड़ी खबर : सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेज नए डॉक्टर तैयार करने के लिए बनाए जाते हैं और उनसे संबंधित अस्पताल जनता को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया उपलब्ध कराने के लिए बनाए जाते हैं , लेकिन ग्वालियर अंचल के मेडिकल कॉलेज स्वास्थ्य सुविधाओं को परे रखकर भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके हैं । एक के बाद एक मेडिकल कॉलेज भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियों में है । यहां अपनों को फायदा पहुंचाने और मनमाने के तौर पर मेडिकल कॉलेज में नियमों की धज्जियाँ उड़ाकर नौकरियां देने का काम किया जा रहा है। अभी एक मेडिकल कॉलेज की भर्ती का मामला शांत नहीं हुआ था कि अंचल की एक और मेडिकल कॉलेज का नाम सामने आया है । यहां नर्सिंग भर्ती घोटाले की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है ।
आपको बता दें कि श्रीमंत राजमाता विजयाराजे राजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज शिवपुरी में कुछ माह पूर्व ही करीब 198 नर्सिंग की भर्ती की गई थी । जिसमें कुछ लोगों द्वारा अनियमितता का आरोप लगाकर कॉलेज के डीन डॉ अक्षय कुमार निगम और अधीक्षक डॉ केवी वर्मा को हटाने की शिकायत मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की गई है । इसी मामले को संज्ञान में लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग संचालक एवं अवर सचिव आर एस वर्मा ने संभागायुक्त को उपरोक्त मामले की जांच के लिए पत्र लिखा है ।
इससे पूर्व में भी शिवपुरी मेडिकल कॉलेज की भर्तियों में धांधली की आवाज मध्यप्रदेश के विधानसभा भवन में सुनाई दी थी । सवाल खड़े होते हैं कि संस्थानों में पदस्थ प्रमुख अधिकारी बड़े स्तर पर अनियमितता बरतते हैं और मामला सरकार के संज्ञान में है फिर इनके खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं होती है, सत्ता का हिस्सा वाले वो कौन लोग हैं जो ऐसे लोगों को सरंक्षण देने का काम करते हैं ।
शुरू नहीं हुआ अस्पताल
कोरोना की पहली और दूसरी लहर से हम किस तरह जद्दोजहद कर के बाहर निकले यह किसी से छुपा नहीं है । तीसरी लहर की आशंका है और प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने के निर्देश भी दिए हैं , लेकिन शिवपुरी के मेडिकल कॉलेज का बना अस्पताल अभी शुरू नहीं हुआ है । यहां पर जिला हॉस्पिटल से रेफर किए गए मरीज नहीं लिए जाते हैं । इसके अलावा ट्रामा और ओटी का काम भी शेष है । यहां के डीन सहित तमाम डॉक्टर ने अपने निजी और प्राइवेट अस्पतालों में केविन बना रखे हैं । उनका ध्यान शासकीय मेडिकल कॉलेज की तरफ कम है ।
जीआरएमसी और दतिया मेडिकल कॉलेज भी सुर्खियों में
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय की मुख्य बैंच ने गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर और दतिया मेडिकल कॉलेज को आरक्षण नियमों का उल्लंघन कर स्टाफ नर्स की भर्तियां करने के मामले में नोटिस जारी किया था । उच्च न्यायालय ने नोटिस एडवोकेट रामेश्वर सिंह द्वारा दायर याचिका के जबाव में भेजा गया था, उक्त दोनों मेडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्स की भर्तियों को आरक्षण नियमों को ताक पर रखकर किया गया है, जिसको लेकर कई अभ्यर्थियों द्वारा इसकी शिकायत की गई और इसी को लेकर हाई कोर्ट के वकील रामेश्वर सिंह ने एक याचिका दायर की थी,जिसे संज्ञान में लेकर माननीय उच्च न्यायालय ने जीआरएमसी ग्वालियर और शासकीय मेडिकल कॉलेज दतिया को नोटिस जारी किया । जीआरएमसी से सम्बंधित अस्पताल में 238 और दतिया मेडिकल कॉलेज से सम्बंधित अस्पताल में 172 नर्सों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकला था जिसको लेकर जीआरएमसी प्रमुख की देखरेख में नियमों को ठेंगा दिखा कर नियम विरुद्ध चहेतों को नौकरी देने का आरोप चर्चा में है ।
ग्वालियर में जयारोग्य अस्पताल समूह आजकल भर्ती घोटाले को लेकर व्यापमं की तरह चर्चा में है, मामला बड़े अधिकारियों तक पहुंच चुका है , सूत्रों के मुताबिक उक्त मामले को लेकर ग्वालियर जेएएच अस्पताल समूह के प्रभारी डीन डॉ समीर गुप्ता को भोपाल भी बुलाया गया , सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फर्जी नर्सिंग भर्तियां एवं फर्जी तरीके से डॉक्टरों की भर्ती के संबंध में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव ने डॉ समीर गुप्ता डीन जीआरएमसी ग्वालियर को भोपाल तलब किया, ऐसा बताया जा रहा है कि डीन डॉ गुप्ता एवं संभागीय कमिश्नर आशीष सक्सेना की मिलीभगत से ही ये फर्जी भर्तियां हुई है, सूत्रों के हवाले से खबर है कि करीब 2 करोड रुपये का भर्ती घोटाला हुआ है । स्टाफ नर्स भर्ती में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के अंक आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों से कम होने पर भी सामान्य वर्ग को प्राथमिकता दी गई, इसके अलावा वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थियों को किस आधार पर और कितने अंक पर बुलाया गया है इसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं ।, याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका को संज्ञान में लेकर माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने उक्त दोनों मेडिकल कॉलेज को नोटिस जारी किया था ।

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