सूखा के बाद अब किसानों को सता रही है अघोषित बिजली कटौती

विशेष : मध्य प्रदेश में बहुत जल्द ही आम विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके लिए मौजूदा सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान दोनों हाथ खोलकर सरकारी खजाने को मुफ्त की रेवड़ी में बांटने में तुले हुए हैं । स्वयं को किसानों, महिलाओं और युवाओं का हितेषी बताने के लिए वे खुद ही अपनी पीठ थपथपा रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है । प्रदेश में एक तरफ कम वर्षा होने के कारण किसान सूखा की स्थिति से जूझ रहा है , खेतों में लहलहाती फसल सूख रही है लेकिन इसकी सुध लेने के लिए सरकार या सरकार का कोई भी नुमाइंदा किसान के खेत की मेड तक नहीं पहुंच रहा है । अब केवल भारतीय जनता पार्टी हो या फिर कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों के लोगों को एक दल से दूसरे दल में नेताओं को लाने की होड़ मची हुई है ऐसे में नेताओं को किसानों का दुख दर्द सुनाई नहीं दे रहा है और ना ही सूखे की स्थिति से जूझ रहे किसानों पर दया आ रही है ।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही स्वयं को किसानों का हितेषी बताने से अघाते नहीं हो लेकिन सच तो यह है कि अब प्रदेश में बिजली की अघोषित कटौती ने किसानों की कमर तोड़ दी है । बिजली के बिल माफ करने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने क्या की दूसरी तरफ किसानों को पंप के लिए मिलने वाली बिजली में कटौती कर दी है ऐसे में किसान अपनी सूखती हुई फसल को सिंचाई के माध्यम से बचाने में भी कामयाब नहीं हो पा रहा है, लगातार बढ़ती हुई राशि के साथ बिल थमाए जा रहे हैं जब के दूसरी तरफ बिजली की कटौती की जा रही है समय पर बिजली का भुगतान न होने पर किसानों के कनेक्शन काट दिए जाते हैं तो किसी का ट्रांसफार्मर ही उठा लिया जाता है । यह दर्द किसान स्वयं ही महसूस कर रहा है क्योंकि इस दर्द को शिवराज सिंह चौहान तक पहुंचाने वाला कोई नहीं है बल्कि शिवराज सिंह के अधिकारी ही इस दर्द को किसानों को दे रहे हैं । किसान इस अघोषित बिजली कटौती से खासे आक्रोशित हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में इसका नतीजा मौजूद 10 सरकार को भुगतना पड़ सकता है।

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