भाजपा में सर्वे नहीं आकाओं ने अपनों को दिलाई टिकिट

भारतीय जनता पार्टी अब कहने भर के लिए कैडर बेस पार्टी बची है । शीर्ष नेतृत्व में फिर चाहे राज्य का हो या केंद्र का ,अब बस वर्चस्व की लड़ाई बची है और यह सब देखने को मिला है विधानसभा चुनाव के लिए टिकिट वितरण में । एक तरफ एक दिन पहले तक पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं को टिकिट दिया गया है तो वहीं दूसरी तरफ वर्षों से पार्टी के लिए अपना पसीना बहाने वाले नेताओं को छला गया है, इतना ही नहीं सर्वे के नाम पर सिर्फ दावेदारों को धोखे में रखा गया । कहने को पार्टी ने कई सर्वे कार्य और कहा भी जा रहा था कि सर्वे के आधार पर ही टिकिट मिलेगा लेकिन राज्य के शीर्ष नेताओं ने अपने समर्थकों को टिकिट दिलाने के लिए पार्टी के लोकतंत्र का गला घोंटा है । सर्वे को कूड़ेदान में फेंक दिया, और बड़े नेताओं ने अपनी गारंटी पर अपने समर्थकों को टिकिट दिला दिया। भारतीय जनता पार्टी में अब सिर्फ सत्ता हासिल करना लक्ष्य हो गया है, लक्ष्य अंत्योदय – प्रण अंत्योदय का नारा दल – बदल की भीड़ में कहीं गुम हो गया है। अटल जी के सिद्धांत विधायकों हॉर्स ट्रेडिंग के सामने बौने हो गए , आम जनता को फ्री की रेवड़ी बांटकर कमजोर बनाकर वोट बैंक हासिल करने के लिए सरकार ने इतना कर्ज लाद दिया है कि महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है । जो कार्यकर्ता सिद्धांतों की राजनीत कर रहा हैवो सिर्फ पार्टी का झंडा थामकर दल बदलुओं और भ्रष्टाचार की मलाई खाकर चेहरे पर कांति लाने वाले नेताओं के जिंदाबाद के नारे लगाएंगे और दशकों तक भाजपा को गाली देने वाले कोसने वाले नेता चुनाव जीतकर इन पर अत्याचार करेंगे ये इस लोकतंत्र की व्यवस्था बनकर रह गई है।

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