रामनिवास और निर्मला को डर, उपचुनाव में इमरती न बन जाएं…

राजनीतिक : मध्यप्रदेश कांग्रेस ने विजयपुर विधानसभा से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत और बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस के विधायक आज विधानसभा अध्यक्ष से बागी विधायकों की शिकयत करेंगे और उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग करेंगे। इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष को नेता प्रतिपक्ष दोनों विधायकों की सदस्यता निरस्त करने के लिए एक पत्र सौंपेगे।
जानकारी के अनुसार नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार विधानसभा अध्यक्ष को विजयपुर विधानसभा से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत और बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे के खिलाफ पूरे प्रमाण के साथ और नियम के साथ सबूत सौंपेंगे। कांग्रेस की शिकायत के बाद बागी विधायकों को लेकर आखिरी फैसला विधानसभा अध्यक्ष करेंगे। कांग्रेस का कहना है कि मध्यप्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान बागी विधायकों को अपने पक्ष में नहीं बिठाएगी। क्योंकि दोनों विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके है और दोनों ने नियम के मुताबिक विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है। दरअसल, श्योपुर जिले की विजयपुर सीट से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी में शामिल हो गए थे। उन्होंने सीएम मोहन यादव के समाने अपने समर्थकों के साथ बीजेपी की सदस्यता ली थी। वही सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे भी बीजेपी में शामिल हो गई थी। दोनो कांग्रेस विधायक बीजेपी में शामिल तो हो गए है, लेकिन दोनों ने अबतक दलबदल कानून के तह विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया हैं। दोनों के इस्तीफा नहीं देने को लेकर कई बाते समाने आ रही है।
क्या विधायकों को है हार का डर?
विधानसभा के नियमों के अनुसार दलबदल के तहत किसी भी विधायक के अन्य दलों में शामिल होने के बाद उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना होता है, लेकिन दोनों विधायकों ने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया। दोनों को इस्तीफा नही देने को लेकर सबसे बड़ी वजह हार का डर बताया जा रहा है। क्योंकि विजयपुर सीट किसी भी पाले में जा सकती है। यहां से कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस को समर्थन मिलता आया है। इसी को लेकर माना जा रहा है कि रामनिवास रावत को हार का डर सता रहा है। दोनों ही विधायकों को डर है कि कहीं ऐसा न हो कि कांग्रेस का गढ़ रही सीटों पर उपचुनाव में भी कांग्रेस को बहुमत मिल जाए और वे इमरती बन जाए । दरअसल ग्वालियर जिले की डबरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहीं इमरती देवी ने 2020 में कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते हुए दलबदल कर भाजपा का दामन थाम लिया था और उपचुनाव में भाजपा की सरकार होने के साथ उनके नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूरी ताकत झोंक दी बावजूद उसके इमरती अपनी सीट नहीं बचा पाई और उसके बाद उनका बयान भी वायरल हुआ था कि डबरा कांग्रेस का गढ़ है यदि मैं कांग्रेस से चुनाव लड़ती तो भारी बहुमत से चुनाव जीतती, इतना ही नहीं 2023 के चुनाव में भी इमरती देवी फिर चुनाव हार गई, अब यही डर रामनिवास रावत और निर्मला को सता रहा है इसलिए अभी तक स्तीफा नहीं दिया है।

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