कोरोना काल मे राशन पर सेल्समैन से लेकर माफियाओं ने डाला डांका

बड़ी खबर : सरकार ने पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) गरीबों का पेट भरने के लिए शुरू की थी। शुरूआती दौर में व्यवस्था ठीकठाक चली लेकिन समय के साथ यह प्रणाली भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती चली गई। सुधार के हर कदम पर इतने सुराख रहे कि न तो कालाबाजारी पर रोक लग सकी और न ही घटतौली पर। इसके चलते कुछ वर्षो पूर्व तक मिलने वाले कई सब्सिडी सामानों पर पूरी तरह रोक लगा दी गई। गरीबों की दो श्रेणियां तय कर गेहूं, चावल, चीनी और केरोसिन देने की मात्रा सीमित कर दी गयी। इसके बावजूद पीडीएस की खामियों पर काबू नहीं पाया जा सकता है। जिम्मेदार सिस्टम की कमियों की दुहाई देकर सुधार की बात पर यह कहकर हाथ खड़े कर देते हैं । इसके चलते राशन के रखरखाव, उठान से लेकर वितरण तक हर स्तर पर फैला भ्रष्टाचार का घुन पीडीएस को दिनोंदिन और खोखला करता जा रहा है।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के चलते सरकार ने गरीबों को निःशुल्क राशन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की लेकिन प्रशासन की मिलीभगत से पीडीएस की दुकान चलाने वालों ने गरीबों के राशन को डकार लिया , दो माह की जगह एक ही माह का राशन देकर गरीबों को गुमराह किया जा रहा है, पीडीएस और प्रधानमंत्री जन कल्याण योजना दोनों ही अलग है लेकिन जानकारी के अभाव में ग्रामीण इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं और राशन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं । खाद्य आपूर्ति विभाग कितना जिम्मेदार है कि शिकायत के नाम पर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा खानापूर्ति करके इतिश्री कर ली जाती है, और मामले को दिखवाने का हवाला देकर शिकायत कर्ता को चलता बना देते हैं ।
व्यवस्था में कहां-कहां सुराख :
हितग्राहियों को राशन तौल में गड़बड़ी, कुछ उपभोक्ताओं को आधा अधूरा राशन देकर इतिश्री कर देना, पूरे माह राशन दुकानों का न खुलना, फर्जी राशन कार्ड की बहुतायत, इसके अलावा राशन माफिया गांव गांव में पनप चुके हैं कई पंचायत में गरीबों के राशन कार्ड माफियाओं ने चंद रुपयों के लालच देकर गिरबी रख लिए हैं जिससे गरीबों के राशन को हड़प लिया जाता है । राशन वितरण में हो रही गड़बड़ी पर जब पोहरी एसडीएम से बात की तो उनका कहना है कि यदि इस प्रकार की शिकायत है तो पूरे मामले को दिखवा लिया जाएगा और उसके बाद उन्होंने फोन ही काट दिया, इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार अपनी कितनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं ।

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