जातियों के बीच फंसा विजयपुर उपचुनाव:रावत समाज का बीजेपी, कुशवाह-आदिवासी का कांग्रेस की तरफ झुकाव; किरार – जाटव किस ओर जाएंगे

श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा का चंदेली गांव। गोल घेरा बनाकर कुछ लोग बैठे हुए हैं। उनके बीच चर्चा चुनाव की चल रही है। उनमें से एक शख्स बोला- ’60 हजार आदिवासी वोटर निर्णायक होंगे’। दूसरे ने उसकी बात काटते हुए कहा पिछली बार भी तो आदिवासियों ने सीताराम को वोट दिया था, फिर रावत की जीत कैसे हुई। वो तो बड़ा मंझा हुआ खिलाड़ी है। पहले वाले ने कहा- ‘आदिवासी भी तो बंट गया था।
विजयपुर विधानसभा सीट के उप चुनाव में भले ही बीजेपी विकास और कांग्रेस गद्दार के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है, मगर जातिगत समीकरण चुनाव पर हावी है। यही वजह कि दोनों पार्टियों ने भी अब जातिगत समीकरणों को साधने पर फोकस बढ़ा दिया है।
कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा के समर्थन में आदिवासी और कुशवाह समाज के लोग लामबंद दिखाई दे रहे हैं। बीजेपी ने पिछली बार के उम्मीदवार सीताराम आदिवासी को सहरिया प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाकर इन्हें साधने की कोशिश की है। बीएसपी की तरफ से कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं है इससे जाटव समुदाय का वोट निर्णायक हो गया है।विजयपुर में 13 नवंबर को वोटिंग होना है। हवा का रुख जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम विजयपुर विधानसभा पहुंची। यहां लोगों के साथ एक्सपर्ट से समझा कि ये उप चुनाव पिछले चुनाव से किस तरह से अलग है।
मैदान में 11 उम्मीदवार, मुकाबला बीजेपी-कांग्रेस के बीच विजयपुर में कुल 11 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी से मप्र सरकार में वन मंत्री रामनिवास रावत, कांग्रेस से मुकेश मल्होत्रा, भारत आदिवासी पार्टी से नेतराम सहरिया, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) से भारती पचौरी, राष्ट्रीय जन आवाज पार्टी से मंजू आदिवासी और 6 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं।मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। पिछले 14 चुनाव के नतीजों को देखें तो कांग्रेस ने 7 चुनाव जीते हैं और बीजेपी ने केवल 3 चुनाव जीते हैं। यानी परंपरागत रूप से ये सीट कांग्रेस की है।
बीजेपी का मुद्दा विकास, 400 करोड़ के कामों का ऐलान रामनिवास रावत के बीजेपी में शामिल होने और मंत्री बनने के बाद विजयपुर में 400 करोड़ से ज्यादा के निर्माण कार्यों का भूमिपूजन हो चुका है। चुनाव की घोषणा होने से पहले ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विजयपुर के वीरपुर में चंबल नदी पर मप्र राजस्थान के बीच पोंटून पुल (ड्रमों के ऊपर तैरता पुल), सरकारी कॉलेज और सिविल अस्पताल बनाने की घोषणा कर चुके हैं।
सरकार के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला कहते हैं कि रामनिवास रावत ने विकास के मुद्दे पर ही पार्टी छोड़ी है। कांग्रेस पार्टी उन्हें सम्मान भी नहीं दे रही थी। अब वे बीजेपी में हैं तो विजयपुर में विकास की नई इबारत लिखी जाएगी।
चुनाव में कांग्रेस ने दिया बिकाऊ बनाम टिकाऊ का नारा दूसरी तरफ कांग्रेस ने यहां बिकाऊ वर्सेस टिकाऊ का नारा दिया है। कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा उम्मीदवार पर सीधे हमलावर है। हर सभा में कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाए जा रहे हैं कि रावत 6 बार विधानसभा का चुनाव कांग्रेस में रहते जीते, लेकिन उन्होंने मंत्री पद के लिए विजयपुर की जनता से धोखा किया।काग्रेस की तरफ से चुनाव प्रभारी की भूमिका निभा रहे चंदन यादव कहते हैं कि रामनिवास रावत को कांग्रेस ने इस क्षेत्र से 8 बार चुनाव लड़ाया। दो बार सांसद का भी टिकट दिया। दो बार उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया। इसके बाद भी उन्होंने कांग्रेस पार्टी की विचारधारा को धोखा दिया।
1. आदिवासी: कांग्रेस की तरफ झुकाव, बीजेपी सेंध लगाने में जुटी विजयपुर में आदिवासी वोटर्स की संख्या करीब 60 हजार है। ये यहां के निर्णायक मतदाता हैं। पिछले चुनाव तक आदिवासी वोटर्स का झुकाव कांग्रेस की तरफ रहा है। रामनिवास रावत के बीजेपी जॉइन करने के बाद कांग्रेस ने सहरिया आदिवासी समुदाय से आने वाले मुकेश मल्होत्रा को टिकट दिया। वे सहरिया विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे हैं।
आदिवासी वोटर्स का झुकाव इस बार किस तरफ है ये जानने भास्कर की टीम विजयपुर से 15 किमी दूर मोहनपुरा गांव पहुंची। यहां आदिवासियों के करीब 700 परिवार हैं। ज्यादातर काम धंधे की तलाश में राजस्थान और यूपी का रुख करते हैं। भास्कर की टीम यहां पहुंची तो गांव के लोग अपने कामकाज में व्यस्त थे।
कुछ युवा पेड़ के नीचे खड़े थे, इनमें से कुछ पहली बार वोट डालने वाले हैं। इन्हीं में से एक आदिवासी युवक शिवकुमार ने कहा कि इस बार कांग्रेस ने हमारी जाति के उम्मीदवार को खड़ा किया है इसलिए वोट कांग्रेस को ही देंगे। शिवकुमार की बात का समर्थन पास ही खड़े अजय ने भी किया। उसने कहा कि ज्यादातर आदिवासी रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं। इस बार वोटिंग के चलते यहीं पर रुक गए हैं।
कुशवाह समाज: रावत समाज के एंटी, कांग्रेस की तरफ झुकाव आदिवासी के बाद कुशवाह समाज के वोटरों की संख्या करीब 30 हजार है। जानकारों के मुताबिक 2023 के विधानसभा चुनाव में इस समाज के मतदाताओं ने बीजेपी का समर्थन किया था, क्योंकि कांग्रेस ने रामनिवास रावत को टिकट दिया था।
पिछले कुछ सालों में कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं कि रावत और कुशवाह दोनों एक दूसरे के विरोधी हो गए है। अब रावत बीजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं तो कुशवाह समाज का झुकाव कांग्रेस की तरफ नजर आ रहा है। कुशवाह समाज के प्रतिनिधि लालपत कुशवाह कहते हैं कि रावत समाज के लोगों ने कुशवाहों पर जो अत्याचार किए हैं। उससे कुशवाह समाज पूरी तरह से कांग्रेस के साथ है।
जाटव समाज: 35 हजार वोटर निर्णायक, बीएसपी के कोर वोटर रहे जातिगत समीकरणों में तीसरे नंबर पर जाटव समाज है। जानकारों के मुताबिक ये समाज बहुजन समाज पार्टी का कोर वोटर रहा है। 2023 के चुनाव में बीएसपी ने धारा सिंह कुशवाह को टिकट दिया था और उन्हें 34 हजार वोट मिले थे।
बीएसपी उपचुनाव नहीं लड़ती ऐसे में इस बार इस समाज का वोट बंटेगा। कांग्रेस ने इस समाज के वोट को साधने के लिए राजस्थान के भरतपुर से सांसद संजना जाटव से संपर्क किया है। बीजेपी की तरफ से अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य सक्रिय हैं।

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