डीएपी के स्थान पर एनपीके का उपयोग कृषक करें – कलेक्टर
वर्तमान में किसान सरसों, गेहूं एवं आलू की बुबाई करने जा रहे है। कृषि वैज्ञानिकों ने डीएपी के स्थान पर रबी फसल के पोषक तत्व के लिये एनपीके खाद का उपयोग करने की बात कलेक्टर श्री बी.कार्तिकेयन ने कही।

कलेक्टर श्री कार्तिकेयन बताया कि मुरैना जिले में आलू एक प्रमुख सब्जी फसल के रूप् में उगाई जाती है तथा इस फसल में पोषक तत्वों की भी अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। किंतु वर्तमान में उर्वरकों की मांग एवं पूर्ति विशेषकर डीएपी उर्वरकों के लिये काफी अंतर देखा जा रहा है। ऐसी परिस्थितियों में किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि आलू के लिये संस्तुत पोषक तत्वों की मात्रा 200 कि.ग्रा. नाईट्रोजन, 100 कि.ग्रा. फास्फोरस एवं 100 कि.ग्रा. पोटास प्रति हेक्टेयर आपूर्ति करने के लिये डीएपी के अतिरिक्त अन्य विकल्पों की ओर विचार करना चाहिये। यदि आलू फास्फोरस के लिये एनपीके 12ः32ः16 का उपयोग करते है तो लगभग 6 बोरी की आवश्यकता होगी। इसके साथ लगभग 7 बोरी यूरिया एवं 2 बोरी म्यूरेट ऑफ पोटास एवं 3 बोरी यूरिया आधार खाद के रूप में बुबाई के समय किसान भाई उपयोग करें। शेष यूरिया की मात्रा दो बार में एक माह के बाद एवं डेढ़ माह के बाद सिंचाई के बाद उपयोग करें।
इसी प्रकार यदि एनपीके 14ः35ः14 की उपलब्धता है तो किसान भाई 6 बोरी एनपीके 14ः35ः14, 7 बोरी यूरिया एवं 2 बोरी म्यूरेट ऑफ पोटास का उपयोग कर सकते है। इस प्रकार यदि किसान भाई उपरोक्त विकल्पों का चयन करते है तो उनका आलू फसल के लिये डीएपी उर्वरक पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, आलू की फसल का भरपूर उत्पादन कर सकेंगे।

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