सूबे में भाजपा मजबूत नहीं कांग्रेस कमजोर है

राजनीतिक : 2003 में भारतीय जनता पार्टी 10 वर्ष के दिग्गी सरकार को सत्ता से बाहर कर सरकार बनाने में कामयाब हुई तो डेढ़ साल में तीन मुख्यमंत्री बदल डाले । लंबे अरसे बाद मिली सत्ता को संभालने वाला नेतृत्व भाजपा को सूबे नहीं मिला, शीर्ष नेतृत्व की निगाहें पिछड़े वर्ग के नेता शिवराज सिंह पर आकर टिकी तो प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर शिवराज सिंह भी अंगद के पैर की तरह अडिग अड़ गए और और लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहे । चौथी बार 2018 मे वोट प्रतिशत कांग्रेस की तुलना में अधिक मिलने के बावजूद भाजपा सरकार नहीं बना सकी लेकिन डेढ़ साल में ही सत्ता की छटपटाहट इतनी बड़ी कि एन केन प्रकारेण काँग्रेसयुक्त होकर चौथी बार भाजपा की सरकार बना ली और और मुख्यमंत्री को लेकर तमाम कयासों को विराम देकर शिवराज सिंह चौहान चौथी बार सत्ताधीश हो गए । शिवराज सिंह अपने कुशल नेतृत्व और प्रबंधन से अपनी पार्टी के धुर विरोधी समकालीन नेताओं को पीछे छोड़ सत्ता पर बने रहे हैं ।
राजनीतिक गलियारों में अक्सर चर्चा होती है कि देश ही नहीं बल्कि सूबे में भी भारतीय जनता पार्टी मजबूत पार्टी बन गई है बल्कि सत्यता कुछ अलग ही है । भारतीय जनता पार्टी मजबूत नहीं बल्कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस कमजोर है ।ऐसा नहीं कि भाजपा सरकार निष्क्रियता में है, विपक्ष के पास अनेक मुद्दे हैं लेकिन विपक्ष के तौर पर कांग्रेस पूरी तरह सुस्त है । कांग्रेस की निष्क्रियता का फायदा भाजपा उठा रही है और मनमानी कर सरकार चला रहे हैं, ऐसा नहीं कि भाजपा में एक दूसरे की टाँग खींचने वालों की कमी है लेकिन वरिष्ठ नेतृत्व का कुशल प्रबंधन अंदरूनी मामलों को सड़क पर नहीं आने देते हैं बल्कि कांग्रेस छोटी मोटी घटनाओं को ही तूल दे देते हैं, पुत्र मोह हर एक राजनैतिक दल के नेताओं में हैं लेकिन कांग्रेस वर्चस्व की लड़ाई में लगातार हाशिए पर आती जा रही है । कांग्रेस यदि इसी तरह सुस्त और निष्क्रिय रही तो अस्तित्व नहीं बचा पाएगी और विपक्ष के तौर पर अन्य सामाजिक और जातीय संगठन आ खड़े होंगे और भाजपा की मनमानी चलती रहेगी ।

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