गरीबों का राशन हड़प गया विक्रेता, शिकायतकर्ताओं को हरिजन एक्ट की धमकी
◆ माफियाओं को जेल में डालने वाली मुख्यमंत्री की चेतावनी का कोई असर नहीं । ◆ वसूली नहीं कर पा रही तहसीलदार, बेखोप है विक्रेता परशुराम जाटव

ग्वालियर : कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान गरीबों को मिलने वाला निशुल्क राशन उनके लिए लाइफ लाइन साबित हो रहा था । प्रधानमंत्री गरीब जन कल्याण योजना के तहत प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम प्रतिमाह राशन निशुल्क उपलब्ध कराने की योजना कारगर साबित हुई , लेकिन कुछ माफियाओं के द्वारा यह राशन गरीबों को ना वितरित करते हुए खुद ही हड़प जाने के मामले सामने आए हैं । जानकारी के अनुसार ग्वालियर में विभाग द्वारा की गई जांच में एक फर्जीवाड़ा सामने आया है जिससे में 9 लाख 99 हजार 492 रुपए का खाद्यान्न उपभोक्ताओं को वितरित न कर खुद विक्रेता द्वारा ही हड़प लिया गया ,अब इसकी वसूली विभाग द्वारा विक्रेता से की जानी है । यह मामला अकेली एक दुकान का नहीं है यदि बड़ी सघन जांच की जाती है तो ऐसे कई और मामले सामने आएंगे जो भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को पार करते दिखाई देंगे ।
तहसीलदार नहीं कर पा रही हैं वसूली
उक्त मामले में दोषी मुख्त्यार पुरा के पीडीए संचालक परशुराम जाटव से 9 लाख 99 हजार 492 रुपए की वसूली होनी है और विभाग की ओर से इस राशि को वापस सरकारी खजाने में पहुंचाने की जिम्मेदारी तहसीलदार बंदना यादव को दी है लेकिन उनके द्वारा अभी तक वसूली नहीं की गई । एक तरफ मुख्यमंत्री माफियाओं पर शिकंजा कसने और उनको जेल में डालने की बात करते हैं वहीं उनके अधिकारी दोषियों से वसूली तक नहीं कर पा रहे हैं । इतना बड़ा घोटाला करने वाले विक्रेता की शिकायत भी की जा चुकी है और विभाग की तरफ से वसूली के लिए अधिकारी नियुक्त किया जा चुका है फिर किसके सरंक्षण पर विक्रेता पर तहसीलदार मेहरबान हैं, आखिरकार वसूली नहीं हो पाना भी कई सवाल खड़े कर रहा है ।
यह है मामला
दरअसल मुख्त्यार पुरा में प्राथमिक कृषि सहकारी संस्था हस्तिनापुर के माध्यम से दुकान का संचालन हो रहा है । दुकान प्रबंधक अजय यादव हैं जबकि विक्रेता परशुराम जाटव, जिसने बड़े तौर पर अनियमितताएं बरती है । विक्रेताओं द्वारा पूरे माह दुकान का संचालन न करते हुए एक-दो दिन दुकान खोली और वह भी उपभोक्ताओं को अपनी मनमर्जी के अनुसार राशन वितरित किया । शेष बचे हुए उपभोक्ताओं को उसने फिर कभी राशन नहीं दिया गया । प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के बारे में किसी को जानकारी नहीं दी गई है ,इस प्रकार उपभोक्ताओं को केवल पीडीएस का राशन ही वितरित किया गया । जानकारी के अनुसार दुकान पर नियुक्त विक्रेता परशुराम जाटव द्वारा शिकायत करने वालों पर हरिजन एक्ट लगाने की धमकी दी जा रही है , यहां तक कि वसूली करने गए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के आला अधिकारियों को भी विक्रेता परशुराम जाटव ने हरिजन एक्ट में फंसाने की धमकी देकर भगा दिया गया । शिकायत करने वाले उपभोक्ताओं पर भी हरिजन एक्ट के तहत केस लगवाने की धमकी भी लगतार विक्रेता द्वारा दी जा रही है ।
पहले भी हो चुकी है जाटव के खिलाफ एफआईआर
ऐसा नहीं कि पहली बार विक्रेता का नाम इस प्रकार के मामलों में सामने आया है, इससे पूर्व में पीडीएस के संचालक परशुराम जाटव पर कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी महावीर सिंह राठौर ने हस्तिनापुर थाने में 14 दिसंबर 2020 को एफ आई आर दर्ज कराई थी । गरीबों के गरीबों के राशन को हड़पने के मामले में हुई इस एफआईआर के बाद पुलिस ने गिरफ्तारी आदि की कार्यवाही नहीं की । खाद्य विभाग के अधिकारियों को पीडीएस संचालक ने उल्टा दुकान से भगा दिया । अब सवाल यह उठता है कि इतने बड़े पैमाने पर घोटाला करने वाले इस दुकान संचालक पर आज तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई है और जब विभाग के अधिकारी लगातार कार्यवाही कर रहे हैं वहीं पुलिस और प्रशासन के अधिकारी कार्यवाही क्यों रुचि नहीं दिखा रहे हैं । वहीं दूसरी तरफ वसूली के लिए नियुक्त अधिकारी तहसीलदार द्वारा वसूली क्यों नहीं की जा रही है ?
एक तरफ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुले मंच से माफियाओं को चुनौती देते हुए जा रहे हैं कि गरीबों के राशन में किसी ने गड़बड़ी की तो मैं उसे जेल की सलाखों में तो डालूंगा ही साथ ही आर्थिक रूप से उसकी कमर तोड़ दी जाएगी ,लेकिन जब मामला परशुराम जाटव का आता है तब शिवराज सिंह चौहान की चेतावनी को अधिकारी नजरअंदाज करते हुए क्यों देखे जा रहे हैं । मुख्त्यार पुरा के पीडीएस संचालक परशुराम जाटव के अलावा चिटोली पीडीएस संचालक दिनेश किरार से ₹9 लाख 09 हजार 656 की वसूली होने हैं तो वहीं डबरा बुजुर्ग पीडीएस संचालक मनोज श्रीवास्तव से 22 लाख 62 हजार 827 रुपए की वसूली होना है ।

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