शुगर मिल और पहाड़गढ़-सहसराम रोड़ जौरा विधानसभा में अहम मुद्दा

राजनीतिक : चुनाव नजदीक आते ही नेता अपनी और अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए नहीं तक नहीं थकते , लेकिन उनके विधानसभा क्षेत्र में कितने विकास कार्य हुए हैं, जनता को से क्या फायदा हुआ है, जनता की मूलभूत समस्याओं का कितना निराकरण हुआ है , यह तो जमीनी हकीकत बयां करती है वहां की तस्वीर है । लेकिन जौरा विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से जिस समस्या को चुनावी मुद्दा बनाकर वोट बैंक को बटोरने का काम नेता लोग करते हैं आए हैं उनमें मुख्य रूप से कैलारस में बंद पड़ा शुगर मिल है । खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई बार चुनावी सभा में शुगर मिल को चालू कराने का दम भर चुके हैं । इसके अलावा जौरा विधानसभा में एक प्रमुख समस्या के रूप में पहाड़ गढ़ से लेकर सहसराम तक की सड़क है । इस सड़क पर चलते समय यह पता नहीं चलता कि सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क , लेकिन इस पर सफर करने के बाद शरीर और दिल में कितनी कसक होती है यह तो उस सड़क से गुजरने वाले ग्रामीण जन ही बता सकते हैं । जनता की इतनी बड़ी समस्या पर ऐसा नहीं कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि नहीं गुजरते हैं । मामला उनके भी संज्ञान में है लेकिन उसको लेकर वे कितना गंभीर हैं यह सड़क की हालत बयां कर रही है । एक बात तो तय है कि आगामी विधानसभा चुनाव 2023 में सभी दलों के लिए न केवल यह दोनों मुद्दा रहेंगे बल्कि नुकसान भी पहुंचा सकते हैं । जौरा विधानसभा क्षेत्र केंद्रीय पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र मुरैना के अंतर्गत आता है । तोमर के ग्रामीण विकास मंत्री होने के बाद भी इस प्रकार सड़कों की दयनीय स्थिति दिखाई देती है उससे आने वाले समय में तोमर को भी चुनावी समय में नुकसान हो सकता है । कहने को तो देश व प्रदेश में हाईवे का जाल बिछाया जा रहा है । सरकार अपनी पीठ थपथपाने में लगी है । विकास की एक नई गाथा गाते हुए नेता मंच पर थकते नहीं नहीं है लेकिन इस सड़क की सुध लेने वाले जनप्रतिनिधि अपनी आंख और कान बंद कर के बैठे हुए हैं ।

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