बुआ-भतीजे में किसकी चलेगी, या मामा का मान रखेगी भाजपा

पोहरी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के पास उम्मीदवारी के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की उम्मीदों पर खरा उतरने वालों का टोटा है तभी तो हाल ही में आयातित बसपाई को चुनावी मैदान में उतारने के कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन उलट इसके पोहरी विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के पास टिकिट की दौड़ में लंबी लाइन खड़ी है । सब के सब दावेदार अपने अपने राजनीतिक आकाओं के भरोसे हैं अब देखना होगा कि किसकी कितनी चलती है । बुआ अपने एक खासमखास पूर्व विधायक की पैरवी कर सकती हैं,खबर तो ये भी है कि बुआ जी के एक और समर्थक पंडित जी भंडारे कराकर जनता के बीच तो जा ही रहे हैं साथ ही बुआ से मुख्य आथित्य कराकर अपनी सिफारिश पार्टी आलाकमान के सामने रखवाना चाहते हैं और वहीं दूसरी तरफ भतीजे के भाजपा में आने से बुआ का रूतबा कुछ फीका पड़ गया, भले ही राजनीतिक जानकर भतीजे के आने से कमल दल को मजबूत बताते नहीं थकते लेकिन असल में कमल दल मजबूर हो गया है तभी तो पोहरी को मंत्री नसीब हुआ है बाकी राजनैतिक योग्यता माननीय की जगजाहिर है । खबर है कि मामा और संगठन में माननीय के नंबर कुछ कम हो गए हैं और माननीय के टिकिट पर कैंची चल सकती है लेकिन भतीजे के आगे मजबूर भाजपा अपने महाराज को खुश रखने उनके सेवक को एक बार फिर मौका दे सकती हैं। मामा जी को तो बस श्यामला हिल्स से मोहब्बत हो गई है लिहाजा एक बार फिर सत्ता में लौटने के लिए पुरजोर लगाएंगे ही, अब महाराज के सेवक के भरोसे तो मामा की नाव मझधार में फंस सकती है इसलिए वे जिताऊ उम्मीदवार की तलाश में हैं वो भी निर्विवाद । खबर तो ये भी है कि इस बार दीदी भी पूरी कोशिश में है, करीब पंद्रह वर्षों से समाजसेवा के माध्यम से अपनी राजनीतिक बिसात बिछा चुकी दीदी का जनसेवा रथ आजकल गांव गांव पहुंचकर लोगों को प्रतिदिन निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है। दीदी के समर्थन में मामा भी राजी हो सकते हैं और मुन्ना भैया तो तैयार हैं ही , अब तो देखना यही है कि बुआ – भतीजे की चलेगी या फिर मामा का मान भाजपा रखेगी ।

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