ग्वालियर – चंबल अंचल को कब मिलेगा मुख्यमंत्री..?

राजनीतिक : आज के समय में राजनीति को हर कोई अपना पेशा बनाना चाहता है और जब एक बार विधायक बन जाए तो उसकी निगाहें भोपाल के श्यामला हिल्स पर टकटकी लगाकर देखती है कि क्या कभी ऐसा हो पाएगा जब वह सूबे का मुखिया बनकर भोपाल के श्यामला हिल्स पर बने सीएम हाउस में निवास कर सकते । मध्यप्रदेश गठन के बाद कई मुख्यमंत्री बने , कोई तेरह दिन बनकर ही रहा तो किसी किसी ने तीन और चार बार सूबे की सियासत को संभाला है । कहने को ग्वालियर चंबल अंचल में सिंधिया रियासत सबसे बड़ी रियासत हुआ करती थी लेकिन जब बात सियासत की आई तो इसी परिवार का तीन पीढ़ियों से राजनीति में भी दबदबा रहा है। इस अंचल से अभी तक कोई सूबे का मुखिया नहीं बन सका जबकि चाहे केंद्र की सरकार हो या फिर राज्य सरकार, दोनों ही जगह ग्वालियर का दबदबा रहा है। राजनीति में सत्ता का केंद्र रहा जय विलास पैलेस भी सूबे के मुखिया का ख्वाब वर्षों पाले रहा लेकिन नसीब नहीं हुआ , ऐसा नहीं कि इस परिवार का कोई सदस्य मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहता बल्कि कई बार प्रयासों के बाद भी मुखिया बन नहीं सका फिर चाहे स्वर्गीय माधव राव सिंधिया हों या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया। इसके अलावा जब भी मौजूदा राजनीतिक समीकरणों में फेरबदल के कयास लगाए गए तब तब अंचल के बड़े नेता नरेंद्र सिंह तोमर को लेकर अटकलें लगाई गई, यह स्थिति भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही है , दोनो ही दलों में बड़े बड़े दिग्गज इस क्षेत्र से ताल्लुकात रखते हैं लेकिन मुख्यमंत्री बनने का सपना साकार नहीं हो सका । 2023 के विधानसभा चुनाव में मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट से मोदी कैबिनेट के कद्दावर मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को प्रत्याशी बनाया गया है। अब कयास लगाया जा रहे हैं कि बहुमत में आने के बाद चार बार सीएम रहे शिवराज सिंह का विकल्प नरेंद्र सिंह तोमर ही होंगे लेकिन सवाल वही है कि क्या कभी इस अंचल को मुख्यमंत्री मिल सकेगा ।

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