जौरा में पंकज की राह नहीं आसान
राकेश यादव, संजय सिंह, मानवेंद्र सिंह और भानुप्रताप सिंह कर रहे थे दावेदारी

लंबे इंतजार के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने 144 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं । इस सूची में मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में पंकज उपाध्याय को मैदान में उतारा है । पंकज उपाध्याय उपचुनाव 2020 में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे थे उस समय भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सूबेदार सिंह सिकरवार से बहुत कम मार्जिन से वे चुनाव हार गए थे , लिहाजा पार्टी ने एक बार फिर उन्हीं पर भरोसा जताया है, लेकिन सियासी समीकरणों में पंकज उपाध्याय की जीत का गणित उलझता हुआ दिखाई दे रहा है । कारण साफ है कि भारतीय जनता पार्टी यहां से किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी यह अभी तो तय नहीं है लेकिन अघोषित तौर पर सिटिंग एमएलए ही प्रत्याशी हैं । इस सीट पर सदा ही त्रिकोणीय मुकाबला रहा है , बहुजन समाज पार्टी की ओर से पूर्व विधायक सोनेराम कुशवाह को पहले ही मैदान में उतार दिया है । 2013 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी का कमल खिलने वाले सूबेदार सिंह सिकरवार के प्रति इस क्षेत्र में एंटी इनकंबेशी थी और 2018 में हुए चुनाव में वे कांग्रेस के बनवारी लाल शर्मा से अपना चुनाव हार गए थे बावजूद इसके उपचुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी ने सूबेदार पर ही भरोसा किया और वे पार्टी की उम्मीद पर खरे उतरे । अब बात पंकज उपाध्याय की करें तो पंकज उपाध्याय के जीत में अपने ही अवरोध बन सकते हैं । इस सीट से कांग्रेस की ओर से आधा दर्जन से अधिक नेता अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे इनमें सभी अपना वर्चस्व रखते हैं , अब ऐसे में पंकज उपाध्याय का नाम फाइनल होने के बाद भितरघात की आशंका है , इसके अलावा इस सीट पर धाकड़ समुदाय का वोट बैंक भी है इससे पहले या तो बहुजन समाज पार्टी धाकड़ उम्मीदवार उतारती थी या फिर शिवराज सिंह चौहान के नाम पर धाकड़ों का वोट भारतीय जनता पार्टी को जाता था लेकिन 2023 के चुनाव में यह दोनों ही समीकरण बनते दिखाई नहीं दे रहे । पंकज उपाध्याय की राहों में एक सबसे बड़ा रोड़ा यह बन सकता है कि बीते दिनों धाकड़ और ब्राह्मण समुदाय के बीच सोशल मीडिया पर की गई आपत्तिजनक पोस्टों को लेकर गरमा गर्मी का माहौल बना था , एक दूसरे ने आरोप प्रत्यारोप लगाए थे और दोनों ही समाजों की ओर से आपत्तिजनक पोस्ट सोशल मीडिया पर की गई थी जिसको लेकर क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण गरमा गए थे । अब देखना होगा कि पंकज उपाध्याय के लिए अपने ही अवरोध बनेंगे या फिर कंधे से कंधा और कदम से कदम मिलाकर कांग्रेस की जीत दिलाने में सहायक होंगे ।

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