कौन है जो भाजपा को अलविदा कह कर कांग्रेस से हाथ मिलाएगा

जनता की आवाज : यह कहावत 100 फ़ीसदी सत्य है कि राजनीति में ना तो वे स्थाई दुश्मन होता है और ना ही कोई दोस्त । यहां यह कहावत पूरी तरह से चरितार्थ होती है कि ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर । जो अवसरों को पहचान ले वही वास्तव में सफल राजनेता माना जाता है । 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपना 15 वर्ष का वनवास पूरा करके सत्ता में लौटी तो 15 वर्ष से सत्ताधीश भारतीय जनता पार्टी का मन विचलित हो गया । हाथ से मलाई फिसलते हुए देखकर साम, दंड और भेद का षड्यंत्र रचा जाने लगा और किस प्रकार से सौदेबाजी करके कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस का हाथ झटक पर गले में भाजपा का पट्टा डाला यह किसी से छुपा नहीं है और यह पूरी पटकथा जगजाहिर है ।
अब वक्त बदलने वाला है, 2023 के विधानसभा चुनाव में कहानी इसके उलट हो इसकी संभावना बहुत अधिक है। कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं और नेताओं की कमी तो है ही लेकिन कांग्रेस के अधिकतर लोगों के बीजेपी में जाने के बाद अब बीजेपी में हर एक विधानसभा सीट पर दावेदारों की संख्या बढ़ गई है और हर किसी को टिकट मिल पाना भी संभव नहीं है । ऐसे में कांग्रेस की ओर वे सब लोग रुख करेंगे जो सिंधिया समर्थकों के भाजपा में आने के बाद खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं या फिर जो समय की नजाकत को समझ लेंगे कि उन्हें 2023 में टिकट मिलने की संभावना ना के बराबर है, ऐसे में वे कांग्रेस के साथ तय करके टिकट प्राप्त करेंगे और चुनाव भी लड़ेंगे ।

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